8 May 2021

7526 - 7530 दिल दर्द इश्क़ ज़िन्दगी बहाना क़त्ल हुस्न शायरी

 

7526
तिरा हुस्न भी बहाना...
मिरा इश्क़ भी बहाना...
ये लतीफ़ इस्तिआरे,
समझ सक़ा ज़माना.......!
                       ज़मील मज़हरी

7527
रास्तेक़े ज़िस दियेक़ो,
समझते थे हम हक़ीर...
वो दिया घरतक़ पहुँचनेक़ा,
बहाना बन गया.......!!!
अहमद फ़राज़

7528
उठाया उसने बीड़ा क़त्लक़ा,
क़ुछ दिलमें ठाना हैं...
चबाना पानक़ा भी,
ख़ूँ बहानेक़ा बहाना हैं...
                      मर्दान अली खां राना

7529
चल आज़ तू मुझे,
अपना रहनुमा बना दे...!
इसी बहाने मेरी ज़िन्दगी भी,
ख़ुशनुमा बना दे.......!!!

7530
हाँ ये सच है कि,
मैं बहुत मुस्कुराता हूँ...
पर इसी बहाने अपने,
दर्दक़ो छुपाता हूँ.......

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