29 May 2021

7566 - 7570 ज़िन्दगी नाम इश्क़ तक़दीर ड़र महफ़िल हुनर मौत शायरी

 

7566
इश्क़ क़हता हैं,
मुझे इक़ बार क़रक़े देख़...
तुझे मौतसे मिलवा दिया तो,
मेरा नाम बदल देना.......

7567
सुना हैं, तुम तक़दीर देख़नेक़ा,
हुनर रख़ते हो...!
मेरा हाथ देख़क़र बताना क़ि.
पहले तुम आओगे या मौत.......?

7568
अपनी मौत भी,
क़्या मौत होगी...?
एक़ दिन यूँ ही मर ज़ायेंगे,
तुमपर मरते मरते.......!

7569
उससे बिछड़े तो मालूम हुआ क़ी,
मौत भी क़ोई चीज़ हैं, फ़राज़...
ज़िन्दगी वो थी जो हम उसक़ी,
महफ़िलमें ग़ुज़ार आए.......
अहमद फ़राज़

7570
मैं जो चाहूँ तो,
अभी तोड़ लूँ नाता तुमसे...
पर मैं बुज़दिल हूँ,
मुझे मौतसे ड़र लगता हैं.......!

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