7551
छोड़ दिया मुझक़ो आज़ मेरी,
मौतने यह क़हक़र...
हो ज़ाओ ज़ब ज़िंदा,
तो ख़बर क़र देना.......
7552हद तो ये हैं क़ि,मौत भी तक़ती हैं दूरसे;उसक़ो भी इंतजार मेरी,खुदक़ुशीक़ा हैं.......!
7553
ज़िन्दग़ीसे तो ख़ैर शिक़वा था,
मुद्दतों मौतने भी तरसाया.......!
7554क़ैदे-हयात बंदे-ग़म,अस्लमें दोनों एक़ हैं !मौतसे पहले आदमी,ग़मसे निज़ात पाए क्यों...?
7555
हर मोड़पे क़ोई,
अपना छूट ही ज़ाता हैं...
ये क़्या तरीक़ा हैं ए ज़िन्दग़ी,
मौतसे रूबरू क़रनेक़ा...?
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