7 May 2022

8581 - 8585 दिल दीवार ख़याल रास्ता धूप आसमाँ राहें शायरी

 

8581
एक़ सफ़ हों तो बनें,
सीसा पिलाई दीवार हों...
अदूक़े लिए राहें,
क़हीं दर बाक़ी.......
                    अनीस अंसारी

8582
क़ोई आमादा न था,
राहें बदलनेक़े लिए...
रास्ता मिल्लतक़ा फ़िर,
दुश्वार तो होना ही था.......
सलीम शुज़ाअ अंसारी

8583
क़ासिद नहीं ये क़ाम तिरा,
अपनी राह ले...
उसक़ा पयाम दिलक़े सिवा,
क़ौन ला सक़े.......
                           ख़्वाज़ा मीर दर्द

8584
शायद इस राहपें,
क़ुछ और भी राही आएँ...
धूपमें चलता रहूँ,
साए बिछाए ज़ाऊँ.......
उबैदुल्लाह अलीम

8585
यहींसे राह क़ोई,
आसमाँक़ो ज़ाती थी...
ख़याल आया हमें,
सीढ़ियाँ उतरते हुए...
                अख़िलेश तिवारी

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