23 May 2022

8646 - 8650 दर्द इरादा दिल दस्तक़ फ़ूल ज़हाँ साथ वफ़ा मोहब्बत ग़म राहें शायरी

 

8646
दर्दने दिलपें मिरे,
फ़िरसे लग़ाई दस्तक़...!
उसक़ी राहें सभी,
फ़ूलोंसे सज़ाई ज़ाएँ...!!!
               ज़्योती आज़ाद ख़तरी

8647
साथ ज़ो दे सक़ा,
राह--वफ़ामें अपना l
बेइरादा भी उसे,
याद क़िया हैं बरसों...ll
अनवापुल हसन अनवार

8648
वहीं ग़मसे आरी हैं,
क़ार--ज़हाँमें...
ज़िन्हें ख़ूब आता हैं,
राहें बदलना.......
                   औरंग़ज़ेब

8649
रह--वफ़ामें लुटाक़र,
मता--क़ल्ब--ज़िग़र...
क़िया हैं तेरी मोहब्बतक़ा,
हक़ अदा मैंने.......
अख़तर मुस्लिमी

8650
तेरी राहें सज़ी हो फ़ूलोंसे,
मेरे ज़ीवनमें ख़ार हैं तो हैं...
                               माधव झा

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