Showing posts with label देखने चाहत कोहरे शायरी. Show all posts
Showing posts with label देखने चाहत कोहरे शायरी. Show all posts

14 October 2016

630 देखने चाहत कोहरे शायरी


630

Kohra, Fog

वो छा गये हैं,
कोहरेकी तरह मेरे चारों तरफ...
कोई दूसरा दिखता हैं,
ना देखनेकी चाहत हैं...

She has Wrapped,
Around me like Fog ...
Neither anybody else is visible
Nor I wish to see ...