2986
तेरी पहचान भी,
खो ना जाये
कहीं;
इतने चहरे ना
बदल,
थोड़ीसी शोहरतके लिये...!
2987
कभी जो फुर्सत
मिले,
तो मुड़कर
देख लेना मुझे
एक दफ़ा...!
तेरी नजरोंसे
घायल होनेकी
चाहत,
मुझे आज
भी हैं...!
2988
ऐ हवा उससे
कहना,
सलामत हैं अभी;
तेरे फूलोंको,
किताबोमें छिपाने वाला.......!
2989
टूटे हुए सपनो
और,
छुटे हुए
अपनोंने मार
दिया वरना;
ख़ुशी खुद हमसे,
मुस्कुराना सिखने आया करती
थी !
2990
इससे ज्यादा
और,
क्या सजा
दे हम अपने
आपको,
इतना काफी नहीं
हैं कि,
तेरे
बगैर रहना सीख
रहे हैं...!!!