8 July 2018

2986 - 2990 ख़ुशी पहचान चहरे शोहरत फुर्सत नजर घायल चाहत सलामत किताब सपने सजा शायरी


2986
तेरी पहचान भी,
खो ना जाये कहीं;
इतने चहरे ना बदल,
थोड़ीसी शोहरतके लिये...!

2987
कभी जो फुर्सत मिले,
तो मुड़कर देख लेना मुझे एक दफ़ा...!
तेरी नजरोंसे घायल होनेकी चाहत,
मुझे आज भी हैं...!

2988
हवा उससे कहना,
सलामत हैं अभी;
तेरे फूलोंको,
किताबोमें छिपाने वाला.......!

2989
टूटे हुए सपनो और,
छुटे हुए अपनोंने मार दिया वरना;
ख़ुशी खुद हमसे,
मुस्कुराना सिखने आया करती थी !

2990
इससे ज्यादा और,
क्या सजा दे हम अपने आपको,
इतना काफी नहीं हैं कि,
तेरे बगैर रहना सीख रहे हैं...!!!

7 July 2018

2981 - 2985 दिल प्यार मोहब्बत साँस तन्हाई खुशबू महक याद जुबान आँखें आसमान शायरी


2981
आखरी साँसके,
टूटनेसे पहेले भी...
तुझसे पानीकी जगह,
प्यार ही माँगेंगे.......!

2982
होते नहीं तबादले,
मोहब्बत करने वालोके;
वो आधी रातको भी,
तन्हाईमें तैनात मिला करते हैं...!

2983
खुशबू तेरी प्यारकी मुझे महका जाती हैं,
तेरी हर बात मुझे बहका जाती हैं,
साँस तो बहुत देर लेती हैं आनेमें,
हर साँससे पहले तेरी याद जाती हैं

2984
मैं क्या करू,
ये रिवायतें मुझे नहीं आती;
बात जो दिलमें आती हैं,
जुबान कह जाती हैं.......!

2985
आँखें थक गई हैं,
आसमानको तकते तकते;
वो तारा नहीं टूटता,
जिसे देखकर तुम्हें मांग लूँ।

6 July 2018

2976 - 2980 दिल मोहब्बत इश्क़ चाहत फिराक नक़ाब इनकार तस्वीर नजर नाम बात बोझ शायरी


2976
घरसे बाहर वो नक़ाबमें निकली,
सारी गली उनकी फिराकमें निकली;
इनकार करते थे वो हमारी मोहब्बतसे,
और हमारी ही तस्वीर उनकी किताबसे निकली...

2977
'नजर' 'नमाज' 'नजरिया'...
सब कुछ बदल गया,
एक रोज इश्क़ हुआ और...
मेरा खुदा बदल गया.......!

2978
सुनो...
दिल नहीं चाहिए तुम्हारा,
उसमे जो चाहत हैं ना...
वो मेरे नाम कर दो !!!

2979
मोहब्बत,
बोझ तो नहीं होती...
फिर भी इंसानको,
झुकना सिखा देती हैं !

2980
हम दोनों ही डरते थे,
इक दूजेसे बात करनेके लिए...
मैं, मोहब्बत हो गयी थी इसलिए और,
वो, मोहब्बत हो जाये इसलिए...!

2971 - 2975 दिल जिंदगी फरेब दर्द हार जीत जशन गम किताब मुश्किल चिराग खंजर शायरी


2971
जिंदगी जीता हूँ खुली किताबकी तरह,
ना कोई फरेब ना कोई लालच...
मगर मैं हर "बाजी" खेलता हूँ,
"बिना देखे" क्योंकि,
ना मुझे हारनेका गम,
ना जीतनेका जशन.......

2972
दिलके दर्द छुपाना बड़ा मुश्किल हैं,
टूटकर फिर मुस्कुराना बड़ा मुश्किल हैं;
किसी अपनेके साथ दूरतक जाओ फिर देखो,
अकेले लौटकर आना कितना मुश्किल हैं

2973
जलाए जो चिराग,
तो अंधेरे बुरा मान बैठे;
छोटीसी जिंदगी हैंसाहब...
किस किसको मनाएंगे हम...

2974
माना कि औरोंके मुकाबले,
कुछ ज्यादा पाया नहीं मैने;
पर खुश हूँ कि स्वयंको गिराकर,
कुछ उठाया नहीं मैंने.......!

2975
अपनी पीठसे निकले खंजरोंको,
गिना जब मैने...
ठीक उतने ही थे जितनोंको,
गले लगाया था मैने.......

4 July 2018

2966 - 2970 इश्क़ ख्वाब इबादत इलज़ाम दस्तूर उम्र आँसु खामोश बात ख्वाब इबादत इश्क़ कबूल शायरी


2966
हँसकर कबूल क्या करलीं,
सजाएँ मैने...
अपनोंने दस्तूर ही बना लिया;
हर इलज़ाम मुझपर लगानेका.......!

2967
नसीबने पूछा,
"बोल क्या चाहिए ?"...
'ख़ुशी' क्या मांग ली,
"खामोश" हो गया......

2968
उम्रभरकी बात,
बिगड़ी, एक ज़रासी बातमें...
एक लम्हा, ज़िंदगी भरकी,
कमाई उलझा गया.......!

2969
"वो इश्क़, वो ख्वाब, वो इबादत,
जाने कहाँ गुम हो गए...
कल तक 'हम' थे;
आज 'मैंऔर 'तुम' हो गए.......!"

2970
अच्छा हैं.......
आँसुओंकी कीमत नहीं लगती,
वरना कुछ तकिये,
करोड़ोमें बिकते.......!

3 July 2018

2961 - 2965 उम्र वजूद नुक़्स फ़रिश्ते नज़र रिश्ते समय ख्वाहिश मशहुर जरुरत लिबास शख्स आँख शायरी


2961
उम्र ज़ाया कर दी,
औरोंके वजूदमें नुक़्स निकालते निकालते,
इतना खुदको तराशा होता,
तो फ़रिश्ते हो जाते.......!

2962
जब किसीमें भी,
कुछ अच्छा नज़र नहीं आता हो...
तब समज लेना की,
खुदमें कुछ बुरा ढुंढनेका समय गया हैं...!

2963
मैं पेड़ हूँ,
हर रोज़ गिरते हैं पत्ते मेरे l
फिर भी हवाओंसे,
बदलते नहीं रिश्ते मेरे...

2964
ख्वाहिश हीं मुझे मशहुर होनेकी,
आप मुझे पहचानते हो,
बस इतना ही काफी हैं l
अच्छेने अच्छा और बुरेने बुरा जाना मुझे,
क्योंकी जिसकी  जितनी जरुरत थी,
उसने उतना ही पहचाना मुझे ll

2965
सिर्फ मिट्टीका लिबास,
ओढ़नेकी देर हैं हमे...
फिर हर शख्स ढूंढेगा हमें,
आँखोंमें नमी लेकर.......

2 July 2018

2956 - 2960 दिल नज़र खूबसूरत अंदाज़ तकदीर अजीब बात धोखा बेपनाह मतलबी काम पत्थर आहिस्ता शायरी


2956
अपनी नज़रसे ना देख,
अपनी खूबसूरतीको,
तुझे हीरा भी पत्थर लगेगा !
लोग कहते हैं,
तू चाँदका टुकड़ा हैं;
मगर तू मेरी नज़रसे देख,
चाँद तेरा टुकड़ा लगेगा !!!

2957
आहिस्ता बोलनेका,
उनका अंदाज़ भी कमाल था,
कानोने कुछ सुना नहीं और,
दिल सब समझ गया...!

2858
तकदीरको कुछ इस तरहसे,
अपनाया हैं मैने,
जो नहीं था तकदीरमें,
उसे भी बेपनाह चाहा हैं मैने...

2859
हम मतलबी नहीं,
कि चाहने वालेको धोखा दें...
बस हमें समझना,
हर किसीके बसकी बात नहीं...!

2960
अजीब तरहसे,
नाकाम रहें हम दोनों;
तु मुझे चाह ना सकी,
और मैं तुझे भूला ना सका !

2951 - 2955 इश्क़ मोहब्बत मुकर्रर अदालत गवाह महफ़िल मुक़म्मल ऐतबार इंतज़ार यकीन चर्चे मुकाम हासिल नाम शायरी


2951
तेरी हार तो मुकर्रर हैं,
अदालते-श्क़में;
बस दिल हैं मेरा जो,
गवाही नहीं देता.......!

2952
लो हम गए हैं,
महफ़िल दीवानोकी सजाने;
अब वो आये जिसे,
बात इश्क़की मुक़म्मल करनी हो...

2953
मौतपर भी हैं यकीन,
उनपर भी हैं ऐतबार...
देखते हैं, पहले कौन आता हैं,
दोनोंका हैं इंतज़ार.......!

2954
मुकाम हासिल हमने,
कुछ यूँ किया गालिब...
कि तुम्हारी जीतसे ज्यादा, 
हमारी हारके चर्चे हैं...!

2955
मुस्कुरा जाता हूँ !
अक्सर गुस्सेमें भी,
तेरा नाम सुनकर...
तेरे नामसे इतनी मोहब्बत हैं;
तो सोच...
तुझसे कितनी होगी.......!

30 June 2018

2946 - 2950 जिंदगी तकदीर बाजी खेल फरियाद अरमान मौसम वक्त फितरत अन्दाज़ शायरी


2946
आज भी हारी हुई बाजी,
खेलना पसंद हैं हमें...
क्योंकी हम तकदीरसे ज्यादा,
खुद पे भरोसा करते हैं.......!

2947
जिंदगी ऐसी ना जियो,
कि लोग 'फरियाद' करे;
बल्की ऐसी जियो...
कि लोग तुम्हे 'फिर-याद' करे...!

2948
सूखे पत्ते भीगने लगे हैं,
अरमानोंकी तरह;
मौसम फिर बदल गया,
इंसानोकी तरह.......

2949
वक्त, मौसम और लोगोंकी,
एक ही फितरत होती हैं;
कब, कौन और कहाँ बदल जाए,
कुछ कह नहीं सकते.......!

2950
ज़िंदा रहनेका कुछ ऐसा अन्दाज़ रखो,
जो तुमको ना समझे उन्हें नज़रंदाज रखो,
तुमने किया याद, कभी भूल कर हमें,
हमने तुम्हारी यादमें, सब कुछ भुला दिया...

29 June 2018

2941 - 2945 दिल मोहब्बत याद वादा हरजाई आदत नाराज हकीकत फ़ुरसत इंतजार गरूर हैरत जुर्म लम्हे जवाब शायरी


2941
उसे हम याद आते हैं,
फ़ुरसतके लम्होंमें,
मगर...
ये भी हकीकत हैं,
उसे फ़ुरसत नहीं मिलती...!

2942
कहाँसे लाऊँ हुनर उसे मनानेका,
कोई जवाब नहीं था उसके रूठ जानेका;
मोहब्बतमें सजा मुझे ही मिलनी थी,
क्योंकि जुर्म मेरा था उनसे दिल लगानेका।

2943
वादा करके वो निभाना भूल जाते हैं,
लगाकर आग फिर वो बुझाना भूल जाते हैं;
ऐसी आदत हो गयी हैं अब तो उस हरजाईकी,
रुलाते तो हैं मगर मनाना भूल जाते हैं।

2944
नाराजगीका दौर भी,
थम जाएगा एक दिन;
करोगे इंतजार,
जहांसे हम गुजरा करते थे...

2945
वो खुदपर गरूर करते हैं,
तो इसमें हैरतकी कोई बात नहीं...
जिन्हें हम चाहते हैं,
वो आम हो ही नहीं सकते...!