24 September 2018

3321 - 3325 दिल इश्क़ मोहब्बत ज़िंदगी नाकाम आईना याद फ़िक्र शक्ल जरूरतें नादान शायरी हीं हैं में पें


3321
नाकाम मोहब्बतें भी,
बड़े कामकी होती हैं l
दिल मिले ना मिले,
नाम मिल जाता हैं..!

3322
वो अपनी ज़िंदगीमें हुयी,
मशरूफ इतनी;
वो किस-किसको भूल गयी,
उसे यह भी याद नहीं.......!


3323
हम आईना हैं...
आईना ही रहेंगे,
फ़िक्र वो करें...
जिनकी शक्लमें कुछ,
दिलमें कुछ और हैं

3324
सजदोंके बदले,
फिरदोज़ चाहता हैं,
कितना नादान हैं...
इश्क़में भी होश चाहता हैं...!

3325
जरूरतें ही थीं वो,
जो ख़त्म हुईं...
होती जो मोहब्बत,
तो आज भी होती.......!

23 September 2018

3316 - 3320 दिल ज़िन्दगी जुल्फे कजरा नयन खामोशि होठ क़त्ल इल्जाम तस्सली बात दर्द लफ्ज शायरी


3316
ये लहराती जुल्फे...
कजरारे नयन...
रसीले होठ...
औजार साथमें लीये चलती हो...
क़त्लके इल्जामसे डर नहीं लगता...!

3317
ऐसा क्या लिखूँ की,
तेरे दिलको तस्सली हो जाए;
क्या ये बताना काफी नहीं,
की मेरी ज़िन्दगी हो तुम !

3318
खामोशियाँ कर दे बयाँ,
तो अलग बात हैं...
कुछ दर्द ऐसे भी हैं,
जो लफ्जोमें उतारे नहीं जाते...!

3319
अभी तो चंद लफ़्ज़ोंमें,
समेटा हैं मैंने तुझे;
अभी तो मेरी किताबोंमें...
तेरी तस्वीर बाकी हैं.......!

3320
इस कड़वी-सी जिंन्दगीमें...
बस मीठासा कुछ हैं...
तो वो हो तुम.......!!!

22 September 2018

3311 - 3315 गलती डर रुठ सफर नींद तारीफ़ फ़िज़ूल ख़ुशबू बात ताल्लुक शायरी


3311
कई बार बिना गलतीके भी,
गलती मान लेते हैं हम;
क्योंकि डर लगता हैं कहीं,
कोई अपना हमसे रुठ ना जाए !

3312
इस सफरमें,
नींद ऐसी खो गई...
हम तो सोये नही,
रात ही थक कर सो गई...!

3313
'' घुटनोंपर टिके लोग,
चंद सिक्कोंपर बिके लोग !
बरगदपर उठाते हैं उंगलियाँ,
गमलोंमें उगे लोग...!!! ''

3314
तारीफ़ अपने आपकी,
करना फ़िज़ूल हैं;
ख़ुशबू तो ख़ुद ही बता देती हैं,
कौनसा फ़ूल हैं.......

3315
यूँ ही एक छोटीसी बातपें,
ताल्लुकात पुराने बिगड़ गये...
मुद्दा ये था कि सही "क्याहैं,
और वो सही "कौन" पर उलझ गये...

21 September 2018

3306 - 3310 जिंदगी वक़्त जख्म कायदा क़िस्मत मतलब रिश्ते मंजिल जुगनु रोशनी मोहताज शायरी


3306
मुकद्दरकी लिखावटका,
एक ऐसा भी कायदा हो;
देरसे क़िस्मत खुलने वालोंका,
दुगुना फ़ायदा हो।

3307
"मतलब" बहुत वजनदार होता हैं...
निकल जानेके बाद...
हर रिश्तेको हल्का कर देता हैं...!

3308
ढुंढ लेते हैं,
अंधेरोमें मंजिल अपनी;
क्योंकि जुगनु कभी,
रोशनीके मोहताज नहीं होते...!

3309
जिंदगी जख्मोसे भरी हैं,
वक़्तको मरहम बनाना सीख लो;
हारना तो हैं मौतके सामने,
फिलहाल जिंदगीसे जीतना सीख लो...

3310
सासें कम हो बेशक़,
बस लेकिन...
जिनेकी वजह,
बडी होनी चाहिए...!

20 September 2018

3301 - 3305 मोहब्बत इश्क़ जिंदगी साँस पल चाँद दर्द खैरियत उम्र नज़र आज़ाद सुकून शायरी


3301
रातभर भटका हैं मन,
मोहब्बतके पते पे...
चाँद कब सूरजमें बदल गया,
पता नहीं चला.......!

3302
जो कट गयी,
वो तो उम्र थी साहब...
जिसे जी लिया,
उसे जिंदगी कहिए...
कभी साथ बैठो,
तो कहूं दर्द क्या हैं...
अब यू दूरसे पूछोे,
तो खैरियत ही कहेंगे...!



3303
कोई एक पल हो,
तो नज़रें चुरा लें हम;
ये तुम्हारी याद तो,
साँसोंकी तरह आती हैं...!

3304
सुकून गिरवी हैं उसके पास...
मोहब्बत क़र्ज़ ली थी जिससे...!

3305
सौ बार बंद--इश्क़से,
आज़ाद हम हुए;
पर क्या करें कि,
दिल ही अदू हैं फ़राग़का...!
[ बंद--इश्क़ : प्यारकी कैद
अदू : दुश्मन, फ़राग़ : आझादी ]

3296 - 3300 दिल दुनिया तेरा हुस्न सलामत जलवा दीवाना हुस्न कयामत अदा मुलाक़ात शायरी


3296
ये तो झुठे अंदाज हैं उनके,
खुलके इजहार करके,
खुदको महकानेके;
वरना वो तो शौकिन हैं,
यारोके बसे बसाये,
आशियाने जलानेके...

3297
दुनियामें तेरा हुस्न,
मेरी जा सलामत रहे;
सदियों तलक जमींपे,
तेरी कयामत रहे...!

3298
ये तेरा हुस्न र,
कमबख्त अदायें तेरी...
कौन ना मर जायें,
अब देख कर तुम्हें...!

3299
दूरियोंसे फ़र्क नहीं पड़ता हैं,
बात तो दिलोकी नज़दीकियोसे होती हैं;
दिलके रिश्ते तो किस्मतसे बनते हैं,
वरना मुलाक़ात तो जाने कितनोसे होती हैं...

3300
शरीके-ज़िंदगी तू हैं मेरी,
मैं हूँ साजन तेरा;
ख्यालोंमें तेरी ख़ुश्बू हैं,
चंदनसा बदन तेरा;
अभी भी तेरा हुस्न,
डालता हैं मुझको हैरतमें;
मुझे दीवाना कर देता हैं,
जलवा जानेमन तेरा...!!!

18 September 2018

3291 - 3295 यार मजबूर दर्द वजह शकल बेवफ़ाई इल्ज़ाम खामोश इज़हार लब बादल हुस्न शायरी


3291
खुदको इतना मजबूर कभी पाया,
के तेरा दर्द भी ना बांट सकु...
खुदा कुछ ऐसा कर,
मेरे यारका दर्द बस मेरे नाम कर...!

3292
मत पूँछ हमसे यूँ सारी रात,
जागने कि वजह,  चाँद...
तेरा ही हमशकल हैं वो जो,
हमे सोने नहीं देती.......!

3293
जानकर भी वो मुझे जान ना पाए,
आज तक वो मुझे पहचान ना पाए;
खुद ही कर ली बेवफ़ाई हमने,
ताकि उनपर कोई इल्ज़ाम ना आए...!!!

3294
चलो ... खामोश रहते हैं,
तब तक ... जब तक...
इज़हार लबोंपें,
ख़ुद ना चलके आए...

3295
किसका चेहरा अब मैं देखूं...?
चाँद भी देखा...! फूल भी देखा...!
बादल बिजली...! तितली जुगनूं...!
कोई नहीं हैं ऐसा...! तेरा हुस्न हैं जैसा...!!!

3286 - 3290 दिल मोहब्बत जिन्दगी नाजुक दौर तसल्ली बेपनहा महसुस गुरूर यादें ताला शायरी


3286
गुजर रही हैं ये जिन्दगी,
बड़े ही नाजुक दौरसे;
मिलती नहीं तसल्ली,
तेरे सिवा किसी औरसे...!

3287
मैने यह नहीं कहा की मुझसे,
बेपनहा मोहब्बत कर...
सिर्फ इतनी गुजारिश हैं की,
मेरी मोहब्बतको महसुस कर...।


3288
क्यूँ ना गुरूर करता मैं,
अपने आपपर...
मुझे उसीने चाहा,
जिसके चाहने वाले हज़ारों थे...!


3289
एक हमला हमारे,
दिलपें भी कर दो;
तुम्हारी यादें अक्सर,
यहाँ घुसपैठ करती हैं.......

3290
मैने दरवाज़ेपें,
ताला भी लगा कर देखा...
ग़म मगर फिर भी,
समझ जाते थे, मैं घर में हूँ...!

12 September 2018

3281 - 3285 दिल प्यार मोहब्बत यकीन आँख नजर ख्वाहिश जख्म ख्याल दस्तक बेवफा याद शायरी


3281
ये कैसी ख्वाहिश हैं कि,
मिटती ही नहीं...
जी भरके तुझे देख लिया फिरभी,
नजर हटती नहीं.......!

3282
अपनी प्यारी आँखोमें छिपा लो मुझे,
प्यार तुम से हैं अपना बना लो मुझे l
धूप हो या छाव साथ चलेंगे हम,
यकीन ना हो तो आजमालो मुझे ll

3283
बनाने वालेने,
दिल तो कांचका बनाया होता...
तोड़ने वालेके,
हाथोंमें जख्म तो आया होता...
जब जब देखते अपने हाथोंको,
तब तब उन्हे...
हमारा ख्याल तो आया होता ll

3284
रातको उठ सका,
दरवाज़ेकी दस्तकपें;
सुबह बहुत रोया,
तेरे पैरोंके निशां देखकर.......

3285
बेवफा, तेरी मोहब्बत,
अब ठीकसे रोने तो दे...
मीठी यादोसे तेरी,
मुस्कुरा भी देता हूँ आजकल.......

11 September 2018

3276 - 3280 सनम दिल प्यार गुजारिश करीब याद नसीब आँख होंठ इबादत शायरी


3276
मुझे कुछ भी नहीं कहना,
सिर्फ इतनी गुजारिश हैं...
बस उतनी बार मिल जाओ,
के जितना याद आते हो.......!

3277
दिल कोई किसीसे दूर होता हैं,
कोई किसीके करीब होता हैं;
प्यार खुद चलकर आता हैं,
जब कोई किसीका नसीब होता हैं...

3278
एक आप हो सनम,
कि कुछ कहते नहीं...
एक आपकी यादें हैं,
जो चुप रहती नहीं...!

3279
आँखोंके नीचे,
काले घेरे बताते हैं...
होंठोंपर जो मुस्कान हैं,
वह झूठी हैं.......!

3280
क्या हूवा जो तुम मिलते नहीं हो,
मिलता तो खुदा भी नहीं...
इबादत तो फिर भी,
हम रोज़ करते हैं... ll