23 September 2018

3316 - 3320 दिल ज़िन्दगी जुल्फे कजरा नयन खामोशि होठ क़त्ल इल्जाम तस्सली बात दर्द लफ्ज शायरी


3316
ये लहराती जुल्फे...
कजरारे नयन...
रसीले होठ...
औजार साथमें लीये चलती हो...
क़त्लके इल्जामसे डर नहीं लगता...!

3317
ऐसा क्या लिखूँ की,
तेरे दिलको तस्सली हो जाए;
क्या ये बताना काफी नहीं,
की मेरी ज़िन्दगी हो तुम !

3318
खामोशियाँ कर दे बयाँ,
तो अलग बात हैं...
कुछ दर्द ऐसे भी हैं,
जो लफ्जोमें उतारे नहीं जाते...!

3319
अभी तो चंद लफ़्ज़ोंमें,
समेटा हैं मैंने तुझे;
अभी तो मेरी किताबोंमें...
तेरी तस्वीर बाकी हैं.......!

3320
इस कड़वी-सी जिंन्दगीमें...
बस मीठासा कुछ हैं...
तो वो हो तुम.......!!!

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