3266
कोई नहीं देगा साथ
तेरा यहां,
हर कोई यहां खुदहीमें मशगुल हैं;
जिंदगीका बस एक
ही उसूल हैं यहां,
तुझे गिरना भी खुद हैं और सम्हलना भी खुद हैं...!
3267
बड़ी भूल हुई
अनजानेमें,
ग़म
छोड़ आये मयखानेमें...
खाकर
ठोकर ज़मानेकी,
फिर लौट आये
मयखानेमें...
मुझे देखकर मेरे ग़म
बोले,
बड़ी देर
लगा दी आनेमें.......!
3268
मोहबतको जो
निभाते हैं,
उनको
मेरा सलाम हैं;
और जो बीच
रास्तेमें छोड़
जाते हैं,
उनको,
हुमारा ये पैग़ाम हैं;
वादा-ए-वफ़ा
करो,
तो फिर
खुदको फ़ना
करो;
वरना खुदाके लिए किसीकी,
ज़िंदगी ना
तबाह करो...
3269
जिसने दी हैं जिंदगी उसका,
साया भी नज़र
नहीं आता;
यूँ तो भर
जाती हैं झोलियाँ,
मगर देने वाला
नज़र नही आता !
3270
क्या कहें ... कैसे कहें ... किसको कहें...
बस्...चल रही हैं जिंदगी,
और
जी रहे हैं हम;
रूकी नही हैं साँसें अभी,
और
जिंदा हैं हम.......!
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