11 September 2018

3271 - 3275 दिल इश्क हसरत बात तमन्ना बैचैनी आहट लफ़्ज़ हुकुम आँसु ख्वाब इश्क इंतज़ार शायरी


3271
मत पूछो कैसे गुजरता हैं,
हर पल तुम्हारे बिना;
कभी बात करनेकी हसरत,
कभी देखनेकी तमन्ना रहती हैं

3272
मत पूछो यारो...
ये इश्क केसा होता हैं...
बस जो रुलाता हैं ना,
उसे ही गले लगाकर...
रोनेको जी चाहता हैं...!

3273
इंतज़ार इश्कमें,
बैचैनीका आलम मत पूछो...
हर आहटपर लगता हैं,
वो आये हैं...
वो आये हैं.......

3274
अब हमे इतना भी,
मत पढ़िए हुजुर,
कि हमारे लफ़्ज़ आपके दिलपर,
हुकुमत करने लगे.......

3275
निकलते आँसुओंको देखकर,
सोचती हैं मेरी आँखे,
की और कितना वक़्त लगेगा,
सारे ख्वाबोको बहनेमें.......

No comments:

Post a Comment