2 September 2018

3236 - 3240 ज़िन्दगी मुसीबत फर्क बिखर निखर सोच शायरी


3236
मुसीबत सबपर आती हैं,
फर्क सिर्फ इतना हैं कि...
इससे कोई बिखर जाता हैं,
और कोई निखर जाता हैं...!

3237
चलो ना.......
जी ले कुछ इस कदर,
कि लगे जैसे...
जिन्दगी हमे नहीं,
जिन्दगीको हम मिल गये हैं...!

3238
मत सोच रे बन्दे,
इतना ज़िन्दगीके बारेमें...
जिसने ये ज़िन्दगी दी हैं,
उसने भी तो कुछ सोचा ही होगा,
तेरे बारेमें.......!

3239
यह आग भी,
कितनी अनमोल चीज हैं !
महज बातोंसे भी लग जाती हैं, 
पता नहीं कब बुझेगी.......

3240
तमीज़, तहज़ीब, अदब...
ज़िन्दगीमें बोलती हैं;
लाख छुपाए इन्सानपर...
शख़्सियत निशाँ छोड़ती हैं.......

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