3286
गुजर रही हैं ये जिन्दगी,
बड़े
ही नाजुक दौरसे;
मिलती नहीं तसल्ली,
तेरे सिवा किसी
औरसे...!
3287
मैने यह नहीं कहा की मुझसे,
बेपनहा मोहब्बत कर...
सिर्फ इतनी गुजारिश हैं की,
मेरी मोहब्बतको महसुस कर...।
3288
क्यूँ ना गुरूर
करता मैं,
अपने आपपर...
मुझे उसीने चाहा,
जिसके चाहने
वाले हज़ारों थे...!
3289
एक हमला हमारे,
दिलपें भी
कर दो;
तुम्हारी
यादें अक्सर,
यहाँ
घुसपैठ करती हैं.......
3290
मैने दरवाज़ेपें,
ताला भी लगा कर देखा...
ग़म मगर फिर भी,
समझ जाते थे, मैं घर में हूँ...!
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