5 February 2022

8186 - 8190 मोहब्बत ज़वानी ज़िक्र ज़िस्म बेबफ़ा इशारा गुमनाम गलियाँ दुनिया बदनाम शायरी

 

8186
मोहब्बतक़ी गलियोंमें,
ज़ाने क़ब गुमनाम हो गए,
उनक़े लिए इस दुनियामें,
हम बदनाम हो गए...ll

8187
मेरे साथ एक़ क़ाम क़र,
पहले मुझसे ही मोहोब्बत क़र l
मुझसे ही ज़िस्मक़ी मांग क़र,
और फ़िर मुझे ही बदनाम क़र ll

8188
उम्रभर हम उनक़े,
इशारोंपर ही चलते रहे...
सर झुक़ाक़र ख़ड़े थे,
और वो बदनाम क़रते रहे...

8189
बहुत दिन हो गए,
मोहब्बतक़ो बदनाम नहीं क़िया ;
आज़ फ़िरसे उस बेबफ़ाक़ा.
चलो ज़िक्र क़रते हैं.......!

8190
ज़ी भरक़े,
बदनाम हो गए, चलो...
हक़ अदा हो गया,
ज़वानीक़ा.......!

4 February 2022

8181 - 8185 प्यार हुस्न इश्क़ नशा डर वज़ह मासूम शराब मैख़ाना मयक़दा आदतें बदनाम शायरी

 

8181
प्यारक़ा नशा उस क़ातिलने,
क़ुछ यूँ चला दिया...
बदनाम होनेक़े डरसे मैने,
मैख़ाना ही ज़ला दिया.......

8182
आदतें मेरी,
तेरी वज़हसे ख़राब हो गई...
बदनाम वो मासूम,
शराब हो गई.......!!!

8183
हुस्नक़ा नशा,
सबपर सरे आम हैं l
शराब तो ख़ामख़ा ही,
बदनाम हैं ll

8184
नए रींदोंने लड़ख़ड़ाक़े,
बदनाम क़र दिया हैं...
वरना मयक़देक़ा,
रास्ता तो हमवार बहुत हैं...
नज़ीर मलिक़

8185
ज़ाम तो यूँ ही बदनाम हैं यारों,
क़भी इश्क़ क़रक़े देख़ो तो...
पीना भूल ज़ाओगे या फिर,
पी पी क़े ज़ीना भूल ज़ाओगे...

3 February 2022

8176 - 8180 नज़र गुमनाम तन्हा पल ख़ुशी मोहब्बत हिसाब शिक़ायतें बेवफ़ा शौहरत बदनाम शायरी

 

8176
मुझे नहीं बनना तुम्हारी नज़रोंमें अच्छा,
मुझमें ख़ामी ही बेहतर हैं...
बदनामीक़ी शौहरतसे,
गुमनामी ही बेहतर हैं.......!

8177
बदनाम ही तो हो गए हैं,
आपक़ी मोहब्बतक़ी ख़ातिर...
और आप भी छोड़ गए तन्हा,
क़ुछ ज़्यादा ही हो शातिर.......

8178
बदनाम होना भी ज़ायज़ हैं,
एक़ पलक़ी ख़ुशीक़े लिए...
बस दिल मान ज़ाए मेरा,
एक़ पलक़ी बेवफ़ाईक़े लिए...

8179
शायर क़हक़र,
बदनाम ना क़रना मुझे l
मैं तो रोज़ शामक़ो,
दिनभरक़ा हिसाब लिख़ता हूँ ll

8180
सुना हैं, तुम्हें मोहब्बतसे,
शिक़ायतें बहुत हैं...
गुमनाम मोहब्बतक़ो,
क़ैसे बदनाम क़रोगे ?

2 February 2022

8171 - 8175 मौत बदनाम इश्क़ तक़लीफ़ समझ ज़िन्दगी गली क़फ़न बदनाम शायरी

 

8171
मौतक़ो यूँही,
बदनाम क़रते हैं लोग...
तक़लीफ़ तो साली,
ज़िन्दगी देती हैं.......

8172
मेरा दूरसे ही ताक़ना,
उसे पसंद था शायद...
मोहब्बत समझक़र,
मैं उसे बदनाम क़रती रही...

8173
तेरा इश्क़ ज़ी सक़ी,
पर तेरे नामसे,
बदनाम हो गई...

8174
तेरी बेवफ़ाईपर क़ोई क़लाम हो,
मेरे क़फ़नपर सिर्फ़ तेरा नाम हो l
उस गलीसे नहीं गुज़रता अब मैं,
क़ोई मेरी खातीर क़्यों बदनाम हो ll

8175
क़भी ना भुला पाऊं,
वह क़ाम तूने क़र दिया...
ज़िंदगीक़ो आख़िर क़्यों,
तूने मेरी बदनाम क़र दिया...

31 January 2022

8166 - 8170 इंसान इश्क़ मुक़द्दर समझ ख़्वाहिशें ख़िलाफ़ क़सम अफ़साने क़िस्से बदनाम शायरी

 

8166
मैं तो फिर भी इंसान हूँ,
लोग तो ख़्वाहिशें पूरी ना होनेपर,
ख़ुदाक़ो भी,
बदनाम क़िया क़रते हैं.......

8167
बदनाम क़रते हैं लोग,
मुझे ज़िसक़े नामसे...
क़सम ख़ुदाक़ी ज़ी भरक़े,
क़भी उसक़ो देखा भी नहीं...

8168
तेरी बदनामीक़े क़िस्से,
हमारे पास भी क़म नहीं हैं, पर...
क़िसीक़े मुँहसे तेरे ख़िलाफ़ सुन सक़े,
अभी हमारे पास वो दम नहीं हैं.......

8169
बहुत बदनाम हो ज़ाता,
यहाँ मेरा मुक़द्दर ;
क़िसीक़ी बद्दुआने लगक़े,
मेरी लाज़ रख़ली ;
यूँ तो तल्ख़ था,
बेहद दर्द नाक़ामियोंक़ा ;
पर इनक़ो तेरी निशानी समझक़र,
अपने साथ रख़ ली.......ll

8170
फिर अफ़सानेमें तेरा नाम आया,
मेरे हिस्से बेरुखीक़ा ज़ाम आया l
तेरे इश्क़ने बख़्शी हैं बदनामी,
मैं लौट अपने घर नाक़ाम आया ll

8161 - 8165 ज़िस्म ज़िंदगी प्यार चाहत इश्क़ क़ोशिश नाक़ाम मोहब्बत बर्बाद बदनाम शायरी

 

8161
ना क़र सक़ो,
ऐसा क़ोई क़ाम मत क़रना...
ज़िस्मक़ी चाहतमें इश्क़क़ो,
बदनाम मत क़रना.......

8162
चाहतने कुछ इस तरह,
बर्बाद हमे क़िया...
गलतीक़ी उन्होंने मगर,
बदनाम हमें क़िया.......

8163
तुम ज़ाओ छोड़क़े,
तो क़ोई गम नहीं...
मैं तुम्हें बदनाम क़रु,
इतने बुरे भी हम नहीं...!

8164
मेरे सच्चे प्यारक़ो,
ठुक़राक़र वो चल दिए...
बदनाम क़र मुझे,
ज़िंदगीमें तबाही मचा गए...

8165
नाक़ाम हो गईं,
क़ोशिशें सारी मेरी...
बदनाम भी हो गई,
मोहब्बत मेरी.......

29 January 2022

8156 - 8160 दुनिया याद मंज़ूर मयखाने ज़माने इश्क़ मोहोब्बत इज़्ज़त बदनाम शायरी

 

8156
ये जो मोहोब्बतक़ो,
बदनाम क़रते हैं...
सच तो ये हैं क़ी,
इन्हे क़भी क़िसीसे,
मोहोब्बत हुई ही नहीं...

8157
बदनाम होना भी मंज़ूर हैं,
दुनियासे मुंह मोड़ना भी मंज़ूर हैं...
तू दे अगर थोड़ासा सुक़ून मुझे,
तो मौत भी मुझे मंज़ूर हैं.......

8158
इतने बदनाम हुए, हम तो इस ज़मानेमें...
लगेंगी आपक़ो सदियाँ, हमें भुलानेमें...
पीनेक़ा सलीक़ा, पिलानेक़ा शऊर...
ऐसे भी लोग चले आये हैं मयखानेमें.......
                                       गोपाल दास नीरज़

8159
यारों, यादोंसे उसक़ी,
मेरा पीछा छुड़ाना...
क़मबख्त बदनाम,
क़र रहा हैं उसक़ा याराना...

8160
तेरे इश्क़में हुए हैं,
हम बदनाम...
अब शहरमें अपनी,
इज़्ज़त नहीं रही.......

8151 - 8155 इश्क़ मोहब्बत दर्द आवारगी गलती आशिक़ ज़हाँ सज़दा ज़िंदगी महसूस बदनाम शायरी


8151
गलती मनचले,
आशिक़ों क़ी थी...
बदनामी सारे ज़हाँमें,
इश्क़क़ी हुई.......

8152
मुझे देख़क़र नजरें झुक़ाना,
और यूँ मुस्क़ुरा देना...
मुझे बदनाम ही क़र देगा,
तेरा मेरे घर आना.......

8153
हमारी आवारगीक़ो,
यूँ तो बदनाम क़रो...
निक़लते थे तेरी गलीसे तो,
चोख़टक़ो तेरी सज़दा क़रक़े.......

8154
साथी अगर सही हो तो,
हर मुश्क़िल पार होती हैं l
वरना ज़िंदगी तो भीतर से ही,
बदनाम सी महसूस होती हैं ll

8155
मोहब्बत तो ज़ीनेक़ा नाम हैं,
मोहब्बत तो यूँ ही बदनाम हैं...
एक़ बार मोहब्बत क़रक़े तो देख़ो,
मोहब्बत हर दर्द पिनेक़ा नाम हैं...!

28 January 2022

8146 - 8150 क़िस्सा प्यार पलक़े आँख़े इश्क़ नशा मोहब्बत शाम बदनाम शायरी

 

8146
अब ये क़िस्सा,
बड़ा आम सा हैं...
इश्क़में जो सच्चा हैं,
वहीं बदनाम सा हैं...!

8147
प्यार तबतक़ क़रेंगे,
ज़बतक़ शाम हो...
चल ऐसी ज़गह ज़हाँ,
तू बदनाम हो.......

8148
मिसाल देंगे लोग,
हमारी मोहब्बतक़ी...
जो बदनाम होक़र भी,
क़ामयाब होगी.......!

8149
नशा तो उसक़ी,
आँख़ोंमें हैं...!
क़ाज़ल तो यूँ ही,
बदनाम हुआ हैं...!!!

8150
पलक़े झुक़ाक़े,
शाम क़र गये...!
वो मुझे इस तरह,
बदनाम क़र गये...!!!
                   अफ़शा नाज़

26 January 2022

8141 - 8145 मोहब्बत नाम एहसास साथ फ़रेब दुनिया रहबर माहौल ज़माना ख़ुदा शायरी

 

8141
ख़ुदा क़रे वो मोहब्बत,
जो तेरे नामसे हैं...
हज़ार साल गुज़रनेपें भी,
ज़वान ही रहे.......

8142
ख़ुदा ऐसे एहसासक़ा नाम हैं...
रहे सामने और दिख़ाई दे...!
बशीर बद्र

8143
साथ रख़िए क़ाम आएग़ा,
बहुत नाम--ख़ुदा...
ख़ौफ़ ग़र ज़ाग़ा तो फ़िर,
क़िसक़ो सदा दी ज़ाएग़ी.......

8144
ख़ुदाक़े नामपें,
क़्या क़्या फ़रेब देते हैं...
ज़माना-साज़ ये रहबर भी,
मैं भी दुनिया भी.......
मंसूर उस्मानी

8145
ख़ुदाबंदा मेरी ग़ुमराहियोंपर,
दरग़ुज़र फ़रमां...
मैं उस माहौलमें रहता हूँ,
ज़िसक़ा नाम दुनिया हैं.......
                              अक़बर हैंदरी

24 January 2022

8136 - 8140 रिश्ते इश्क़ मशहूर ज़ज़्बात सज़ा राहत शाम बहाना चराग मोड़ मुक़ाम नाम शायरी

 

8136
अपने ज़ज़्बातक़ो,
नाहक़ ही सज़ा देती हूँ ;
होते ही शाम चरागोंक़ो,
बुझा देती हूँ ;
ज़ब राहतक़ा,
मिलता ना बहाना क़ोई,;
लिख़ती हूँ हथेलीपें नाम तेरा,
और लिख़क़े मिटा देती हूँ...

8137
मुसहफ़ी तुर्बतक़ा,
मिरी नाम लेना...
ग़र पूछे तो क़हियो क़ि,
हैं दरग़ाह क़िसीक़ी.......!
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

8138
नाम लेवा तुम्हारा हैं तरज़ी,
आदमीक़ी तरह मिलो प्यारे...
                         अब्दुल मन्नान तरज़ी

8139
हर मोड़क़ा क़ोई,
मुक़ाम नहीं होता...
क़ुछ रिश्ते होते हैं दिलसे दिलक़े,
मग़र उनक़ा क़ोई नाम नहीं होता...

8140
इश्क़क़ा नाम,
ग़रचे हैं मशहूर...
मैं तअज़्ज़ुबमें हूँ,
क़ि क़्या शय हैं.......
          सिराज़ औरंग़ाबादी

22 January 2022

8131 - 8135 तारीफ़ बदनाम मंज़िल ख़्वाब नाराज़ शख़्स ज़माना नाम शायरी

 

8131
मेरी तारीफ़ क़रे,
या मुझे बदनाम क़रे ;
ज़िसने जो बात भी क़रनी हैं,
सर--आम क़रे ll
                          मक़बूल आमिर

8132
दिलने क़िस मंज़िल--बे-नाममें छोड़ा था मुझे,
रातभर ख़ुद मिरे सायेने भी ढूँडा था मुझ,
मुझक़ो हसरतक़ी हक़ीक़तमें देख़ा उसक़ो,
उसक़ो नाराज़ग़ी क़्यूँ ख़्वाबमें देख़ा था मुझे ll

8133
अब नाम नहीं,
क़ामक़ा क़ाएल हैं ज़माना...
अब नाम क़िसी शख़्सक़ा,
रावन मिलेग़ा.......
                     अनवर ज़लालपुरी

8134
बेनाम सा ये दर्द,
ठहर क़्यों नहीं ज़ाता...
ज़ो बीत ग़या हैं,
वो ग़ुज़र क़्यों नहीं ज़ाता...?

8135
ख़ैरसे रहता हैं,
रौशन नाम--नेक़,
हश्र तक़ ज़लता हैं,
नेक़ीक़ा चराग़...
              ज़हींर देहलवी