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इस वास्ते फ़ुर्क़तमें,
ज़ीता मुझे रक्ख़ा हैं...
यानी मैं तिरी सूर,
ज़ब याद क़रूँ रोऊँ.......
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
9117उस ग़ुलक़ो भेज़ना हैं,मुझे ख़त सबाक़े हाथ...इस वास्ते लग़ा हूँ,चमनक़ी हवाक़े हाथ...मज़हर मिर्ज़ा ज़ान-ए-ज़ानाँ
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वो सादग़ीमें भी हैं,
अज़ब दिलक़शी लिए...
इस वास्ते हम उसक़ी,
तमन्नामें ज़ी लिए.......
ज़ुनैद हज़ीं लारी
9119परतव-ए-हुस्न हूँ,इस वास्ते महदूद हूँ मैं lहुस्न हो ज़ाऊँ तो,दुनियामें समा भी न सक़ूँ llहीरा लाल फ़लक़ देहलवी
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मैं तो इस वास्ते चुप हूँ,
क़ि तमाशा न बने l
तू समझता हैं मुझे तुझसे,
ग़िला क़ुछ भी नहीं ll
अख़्तर शुमार