14 October 2022

9241 - 9245 दिल तमन्ना दरिया ख़्वाहिश तन्हाई क़ुबूल क़िस्मत वुसअत शायरी

 

9241
वुसअत--दिल,
और तमन्नाएँ तिरी...
ये हुजूम और,
आस्तान--मुख़्तसर...
                 मयकश अकबराबादी

9242
दरियाक़ी वुसअतोंसे,
उसे नापते नहीं...
तन्हाई क़ितनी ग़हरी हैं,
इक़ ज़ाम भरक़े देख़.......!

9243
इक ज़र्रेमें सहराओंकी,
वुसअत आन समाई...
इक क़तरेमें डूबके,
रह गई सागरकी गहराई...
                   वासिफ़ अली वासिफ़

9244
मुझक़ो नहीं क़ुबूल,
दो-आलमक़ी वुसअतें ;
क़िस्मतमें क़ू--यारक़ी,
दो-ग़ज़ ज़मीं रहे ll
ज़िग़र मुरादाबादी

9245
मेरी ख़्वाहिश थी कि,
लूटूँ लज़्ज़त--दुनिया मगर...
वुसअत--हिर्स--हवासे,
तंग दामाँ हो गया.......
             गोरबचन सिंह दयाल मग़्मूम

13 October 2022

9236 - 9240 बस्तियाँ ख़ामोशि नज़र ग़हराई दर्द दामन वुसअत शायरी

 

9236
बस्तियाँ क़ैसे न,
मम्नून हों दीवानोंक़ी...
वुसअतें इनमें वहीं लाते हैं,
वीरानोंक़ी.......
                          मुख़्तार सिद्दीक़ी

9237
क़ैफ़ पैदा क़र,
समुंदरक़ी तरह l
वुसअतें ख़ामोशियाँ,
ग़हराईयाँ ll
क़ैफ़ भोपाली

9238
नज़रोंसे नापता हैं,
समुंदरक़ी वुसअतें...
साहिलपें इक़ शख़्स,
अक़ेला ख़ड़ा हुआ.......
                   मोहम्मद अल्वी

9239
मैं वुसअतोंसे बिछड़क़े,
तन्हा ज़ी सक़ूँग़ा...
मुझे रोक़ो,
मुझे समुंदर बुला रहा हैं...!
अरशद नईम

9240
यारब, हुजूम--दर्दक़ो,
दे और वुसअतें ;
दामन तो क़्या अभी,
मिरी आँख़ें भी नम नहीं ll
                     ज़िग़र मुरादाबादी

7 October 2022

9231 - 9235 हसरत चाहत ज़ान फ़ासले मोहब्बत शिक़ायत सिलसिला शायरी

 

9231
सिलसिला ये चाहतक़ा,
दोनो तरफ से था l
वो मेरी ज़ान चाहती थी,
और मैं ज़ानसे ज्यादा उसे...ll

9232
ये क़ैसा सिलसिला हैं,
तेरे और मेरे दरमियाँ...
फ़ासले भी बहुत हैं,
और मोहब्बत भी...!

9233
थम ग़या सिलसिला,
मुहब्बतक़ी शिक़ायतोंक़ा...!
ज़ो लोग़ शिक़ायत क़रते थे,
वो आज़ ख़ुद मुहब्बत क़रते हैं...!!!

9234
ठहर ज़ाओ, बोसे लेने दो...
तोड़ो सिलसिला l
एक़क़ो क़्या वास्ता हैं,
दूसरेक़े क़ामसे.......?
परवीन उम्म--मुश्ताक़

9235
हसरतोंक़ा सिलसिला,
क़ब ख़त्म होता हैं ज़लील...
ख़िल ग़ये ज़ब ग़ुल तो,
पैदा और क़लियाँ हो ग़ईं.......
                       ज़लील मानिक़पुरी

6 October 2022

9226 - 9230 सूरज़ उज़ाला रौशनी शिद्दत ज़िग़र क़दम वास्ता क़फ़स वास्ता शायरी

 

9226
असीरान--क़फ़सक़ो,
वास्ता क़्या इन झमेलोंसे ;
चमनमें क़ब ख़िज़ाँ आई,
चमनमें क़ब बहार आई ll
                          नूह नारवी

9227
नई सहरक़े हसीन सूरज़,
तुझे ग़रीबोंसे वास्ता क़्या...
ज़हाँ उज़ाला हैं सीम--ज़रक़ा,
वहीं तिरी रौशनी मिलेग़ी.......
अबुल मुज़ाहिद ज़ाहिद

9528
क़ैसे क़हें क़ि तुझक़ो भी,
हमसे हैं वास्ता क़ोई l
तूने तो हमसे आज़ तक़,
क़ोई ग़िला नहीं क़िया ll
                         ज़ौन एलिया

9229
बुरा भला वास्ता बहर-तौर,
उससे क़ुछ देर तो रहा हैं...
क़हीं सर--राह सामना हो तो,
इतनी शिद्दतसे मुँह मोड़ूँ.......
ख़ालिद इक़बाल यासिर

9230
ज़िग़र वालोंक़ो डरसे,
क़ोई वास्ता नहीं होता l
हम वहाँ भी क़दम रख़ते हैं,
ज़हाँ क़ोई रास्ता नहीं होता ll

9221 - 9225 ज़िक्र फ़िक्र लफ्ज़ याद दास्ताँ पहचान रूह दिल शराब इश्क़ वास्ता शायरी

 

9221
भूली-बिसरी दास्ताँ,
मुझक़ो समझो ;
मैं नई पहचानक़ा,
इक़ वास्ता हूँ.......l
            महफूज़ुर्रहमान आदिल

9222
क़िसक़ा वास्ता देक़र,
रोक़ते उसे.......
मेरा तो सबक़ुछ,
वहीं शख़्स था.......

9223
क़ोई तो वास्ता हैं,
रूहक़ा दिलसे...
ये ज़ख्म ही नहीं,
लफ्ज़ोक़ी चोट भी,
महसूस क़रता हैं...!
               आदिल मंसूरी

9224
इश्क़क़ा उम्रसे,
क़्या वास्ता ज़नाब...
महंग़ी शराब अक्सर,
पुरानी होती हैं.......

9225
ग़रज़ क़िसीसे, वास्ता मुझे,
क़ाम अपने ही क़ामसे l
तिरे ज़िक्रसे, तिरी फ़िक्रसे,
तिरी यादसे, तिरे नामसे ll
                          ज़िग़र मुरादाबादी

4 October 2022

9216 - 9220 नज़र सितम क़दम तन्हा वक़्त मोहब्बत ख़ैरात नफ़रत वास्ता शायरी

 

9216
तेरे निसार साक़िया,
ज़ितनी पियूँ पिलाए ज़ा...
मस्त नज़रक़ा वास्ता,
मस्त मुझे बनाए ज़ा...!!!

9217
लुत्फ़--ज़फ़ा इसीमें हैं,
याद--ज़फ़ा आए फ़िर...
तुझक़ो सितमक़ा वास्ता,
मुझक़ो मिटाक़े भूल ज़ा.......
हादी मछलीशहरी

9218
ख़ैरात क़ी मोहब्बतसे,
हमक़ो वास्ता नहीं...l
तू मेरे हक़क़ी नफ़रत ही,
मुझक़ो लौटा दे.......ll

9219
ज़ो हर क़दमपें,
मिरे साथ साथ रहता था...
ज़रूर क़ोई क़ोई तो,
वास्ता होग़ा.......
आशुफ़्ता चंगेज़ी

9220
उनसे अब हमारा,
क़ोई वास्ता तो नहीं...
लेक़िन आज़ भी उनक़े हिस्सेक़ा,
वक़्त तन्हा ग़ुज़ारते हैं.......

3 October 2022

9211 - 9215 ख़याल ज़िंदग़ी दर्द ज़िस्म तड़प याद बहार मतलब वास्ता शायरी

 

9211
बार--ग़म--ज़हाँ भी हैं,
तेरा ख़याल भी...
हैं क़ितनी वुसअतें,
दिल--आशुफ़्ता-हालमें...
                      ज़ोहरा नसीम

9212
हमें दुनियामें,
अपने ग़मसे मतलब...
ज़मानेक़ी ख़ुशीसे,
वास्ता क़्या.......?
अलीम अख़्तर

9213
मिरी ज़िंदग़ीपें मुस्क़ुरा,
मुझे ज़िंदग़ीक़ा अलम नहीं...
ज़िसे तेरे ग़मसे हो वास्ता,
वो ख़िज़ाँ बहारसे क़म नहीं...
                          शक़ील बदायुनी

9214
तमाम दर्दक़े रिश्तोंसे,
वास्ता रहे...l
हिसार--ज़िस्मसे निक़लूँ तो,
बेसदा हो ज़ाऊँ.......!
ख़लील तनवीर

9215
हमें वास्ता तड़पसे,
हमें क़ाम आँसुओंसे,
तुझे याद क़रक़े रोए...
या तुझे भुलाक़े रोए...!
                     राज़ेन्द्र क़ृष्ण

1 October 2022

9206 - 9210 सज़ा ग़ुनाहग़ार मयक़दे ख़ुशी वास्ते शायरी

 

9206
हद चाहिए सज़ामें,
उक़ूबतक़े वास्ते...
आख़िर ग़ुनाहग़ार हूँ,
क़ाफ़र नहीं हूँ मैं.......
                 मिर्ज़ा ग़ालिब

9207
ला-मक़ाँ हैं वास्ते उनक़ी,
मक़ाम--बूद--बाश...l
ग़ो -ज़ाहिर क़हनेक़ो,
क़लक़त्ता और लाहौर हैं...ll
शाह आसिम

9208
हमारे मयक़देमें,
ख़ैरसे हर चीज़ रहती हैं...
मग़र इक़ तीस दिनक़े वास्ते,
रोज़े नहीं रहते.......
                             मुज़्तर ख़ैराबादी

9209
ज़माने भरक़ो मुबारक़,
ख़ुशीक़ा आलम हो...
हमारे वास्ते यार,
तुम क़हाँ क़म हो.......

9210
यारों इंग्लिश ज़रूरी हैं,
हमारे वास्ते...
फ़ेल होनेक़ो भी इक़,
मज़मून होना चाहिए.......
                        अनवर मसूद

29 September 2022

9201 - 9205 हयात मरीज़ नाम ग़म वास्ते शायरी

 

9201
रंग़ीनिए हयात,
बढ़ानेक़े वास्ते...
पड़ती हैं हादसोंक़ी,
ज़रूरत क़भी-क़भी.......!

9202
ये मंसब--बुलंद मिला,
ज़िसक़ो मिल ग़या...
हर मुद्दईक़े वास्ते,
दार--रसन क़हाँ.......
मोहम्मद अली ख़ाँ रश्क़ी

9203
आने लगे हैं वो भी,
अयादतक़े वास्ते...
चाराग़र मरीज़क़ो,
अच्छा क़िया ज़ाए.......!!!
                        हमीद ज़ालंधरी

9204
क़ाम क़ुछ तो क़ीज़िए,
अपनी बक़ाक़े वास्ते...
इंक़िलाबी नामसे तो,
इंक़लाब आता नहीं...
अहया भोज़पुरी

9205
जाँ-सिपारी, दाग़ क़त्था चूना हैं,
चश्म--इन्तिज़ार वास्ते !
मेहमान ग़मक़े दिल हैं,
बीड़ा पानक़ा.......!!!
                         सिराज़ औरंग़ाबादी

28 September 2022

9196 - 9200 ज़रूरत राहत क़ज़ा प्यास हक़ीक़त वास्ते शायरी

 

9196
बिक़ ज़ाऊँ सस्ते दामोंमें...
ज़रूरतक़े वास्ते ;
उतरा हुआ ग़रीबक़ा...
ज़ेवर नहीं हूँ मैं ll
                       शहंशाह साबरी

9197
क़्यूँ फ़िरदौसमें,
दोज़ख़क़ो मिला लें यारब...
सैरक़े वास्ते थोड़ीसी,
ज़ग़ह और सही.......
मिर्ज़ा ग़ालिब

9198
राहतक़े वास्ते हैं,
मुझे आरज़ू--मर्ग़...
ज़ौक़ ग़र ज़ो चैन आया,
क़ज़ाक़े बाद.......
                 शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
 
9199
दर-हक़ीक़त,
इत्तिसाल--ज़िस्म--जाँ हैं ज़िंदग़ी...
ये हक़ीक़त हैं क़ि,
अर्बाब--हिममक़े वास्ते.......
आतिश बहावलपुरी

9200
नींदक़े वास्ते,
वैसे भी ज़रूरी हैं थक़न...
प्यास भड़क़ाएँ,
क़िसी साएक़ा पीछा क़र आएँ...!
                                 शारिक़ क़ैफ़ी

27 September 2022

9191 - 9195 नमाज़ ख़ुदा शिक़ायत ग़ुनाह रहमत आबरू शराब दुश्मनी उल्फ़त तड़प वास्ते शायरी

 

9191
मस्ज़िदमें सर पटक़ता हैं,
तो ज़िसक़े वास्ते...
सो तो यहाँ हैं,
देख़ इधर ख़ुदा-शनास...
                   शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

9192
ख़ुदाक़े वास्ते,
मौक़ा दे शिक़ायतक़ा...
क़ि दोस्तीक़ी तरह,
दुश्मनी निभाया क़र...!
साक़ी फ़ारुक़ी

9193
ज़ोश--रहमतक़े वास्ते ज़ाहिद...
हैं ज़रासी ग़ुनाह-ग़ारी शर्त.......
                                  दाग़ देहलवी

9194
नमाज़ शुक्रक़ी पढ़ता हैं,
ज़ाम तोड़क़े शैख़...
वुज़ूक़े वास्ते लेता हैं,
आबरू--शराब.......
मुनीर शिक़ोहाबादी

9195
ख़ाक़से हैं ख़ाक़क़ो उल्फ़त
तड़पता हूँ अनीस ;
क़र्बलाक़े वास्ते मैं,
क़र्बला मेरे लिए ll
                         मीर अनीस

26 September 2022

9186 - 9190 बुत पत्थर ख़ुदा नमाज़ तोहफ़ा बात हरम दुनिया वास्ते शायरी


9186
बुत बनाने पूज़ने,
फ़िर तोड़नेक़े वास्ते...
ख़ुद-परस्तीक़ो,
नया हर रोज़ पत्थर चाहिए...!
                          वहीद अख़्तर

9187
आरज़ू इक़ बुतक़ी,
लेक़र ज़ाते हैं क़ाबेक़ो हम...
तुर्फ़ा तोहफ़ा पास हैं,
अहल--हरमक़े वास्ते.......
आशिक़ अक़बराबादी

9188
हक़ बात तो ये हैं,
क़ि उसी बुतक़े वास्ते ;
ज़ाहिद क़ोई हुआ,
तो क़ोई बरहमन हुआ ll
                 निज़ाम रामपुरी

9189
क़ुछ तुम्हें तर्स--ख़ुदा भी हैं,
ख़ुदाक़ी वास्ते l
ले चलो मुझक़ो मुसलमानो,
उसी क़ाफ़िरक़े पास ll
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

9190
दुनियाक़ा माल,
मुफ़्तमें चख़नेक़े वास्ते ;
हाथ आया ख़ूब,
शैख़क़ो हीला नमाज़क़ा...
               मिर्ज़ा मासिता बेग़ मुंतही