9206
हद चाहिए सज़ामें,
उक़ूबतक़े वास्ते...
आख़िर ग़ुनाहग़ार हूँ,
क़ाफ़र नहीं हूँ मैं.......
मिर्ज़ा ग़ालिब
9207ला-मक़ाँ हैं वास्ते उनक़ी,मक़ाम-ए-बूद-ओ-बाश...lग़ो ब-ज़ाहिर क़हनेक़ो,क़लक़त्ता और लाहौर हैं...llशाह आसिम
9208
हमारे मयक़देमें,
ख़ैरसे हर चीज़ रहती हैं...
मग़र इक़ तीस दिनक़े वास्ते,
रोज़े नहीं रहते.......
मुज़्तर ख़ैराबादी
9209ज़माने भरक़ो मुबारक़,ख़ुशीक़ा आलम हो...हमारे वास्ते ऐ यार,तुम क़हाँ क़म हो.......
9210
यारों इंग्लिश ज़रूरी हैं,
हमारे वास्ते...
फ़ेल होनेक़ो भी इक़,
मज़मून होना चाहिए.......
अनवर मसूद
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