9266
इस वुसअत-ए-क़लामसे,
ज़ी तंग़ आ ग़या...
नासेह तू मेरी ज़ान न ले,
दिल ग़या ग़या.......
मोमिन ख़ाँ मोमिन
9267अर्ज़-ओ-समा क़हाँ,तिरी वुसअत क़ो पा सक़े...मेरा ही दिल हैं वो क़ि,ज़हाँ तू समा सक़े.......ख़्वाज़ा मीर दर्द
9268
नवाह-ए-वुसअत-ए-मैदाँमें,
हैरानी बहुत हैं ;
दिलोंमें इस ख़राबीसे,
परेशानी बहुत हैं ll
मुनीर नियाज़ी
9269तेरी नज़रमें,वुसअत-ए-क़ौन-ओ-मक़ाँ रहें...बाला तअईनातसे,तेरा ज़हाँ रहें.......अमीर औरंग़ाबादी
9270
वुसअत-ए-सहरा भी,
मुँह अपना छुपाक़र निक़ली l
सारी दुनिया,
मिरे क़मरेक़े बराबर निक़ली ll
मुनव्वर राना
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