19 October 2022

9266 - 9270 हैरानी क़लाम नासेह ज़हाँ दुनिया सहरा वुसअत शायरी

 

9266
इस वुसअत--क़लामसे,
ज़ी तंग़ ग़या...
नासेह तू मेरी ज़ान ले,
दिल ग़या ग़या.......
                       मोमिन ख़ाँ मोमिन

9267
अर्ज़--समा क़हाँ,
तिरी वुसअत क़ो पा सक़े...
मेरा ही दिल हैं वो क़ि,
ज़हाँ तू समा सक़े.......
ख़्वाज़ा मीर दर्द

9268
नवाह--वुसअत--मैदाँमें,
हैरानी बहुत हैं ;
दिलोंमें इस ख़राबीसे,
परेशानी बहुत हैं ll
                           मुनीर नियाज़ी

9269
तेरी नज़रमें,
वुसअत--क़ौन--मक़ाँ रहें...
बाला तअईनातसे,
तेरा ज़हाँ रहें.......
अमीर औरंग़ाबादी

9270
वुसअत--सहरा भी,
मुँह अपना छुपाक़र निक़ली l
सारी दुनिया,
मिरे क़मरेक़े बराबर निक़ली ll
                                       मुनव्वर राना

No comments:

Post a Comment