9276
वुसअत-ए-ज़ातमें,
ग़ुम वहदत-ओ-क़सरत रियाज़...
ज़ो बयाबाँ हैं,
वो ज़र्रे हैं बयाबानोंक़े.......
रियाज़ ख़ैराबादी
9277वुसअत-ए-सई-ए-क़रम,देख़ क़ि सर-ता-सर-ए-ख़ाक़...ग़ुज़रे हैं आबला-पा,अब्र-ए-ग़ुहर-बार हुनूज़.......मिर्ज़ा ग़ालिब
9278
वुसअत-ए-चश्मक़ो,
अंदोह-ए-बसारत लिख्ख़ा...
मैंने इक़ वस्लक़ो,
इक़ हिज्रक़ी हालत लिख्ख़ा ll
अज़्म बहज़ाद
9279बरी बेज़ार हिन ज़ातों सिफ़ातों,अज़ब मशरब ते मिल्लत हैं,सभों वुसअत न क़िल्लत हैं llख़्वाज़ा ग़ुलाम फ़रीद
9280
एक़ पलमें ख़त्म हो सक़ती हैं,
वुसअत दहरक़ी...
चोटियोंसे चोटियों तक़ रास्ता ll
शहज़ाद अहमद
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