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तेरे निसार साक़िया,
ज़ितनी पियूँ पिलाए ज़ा...
मस्त नज़रक़ा वास्ता,
मस्त मुझे बनाए ज़ा...!!!
9217लुत्फ़-ए-ज़फ़ा इसीमें हैं,याद-ए-ज़फ़ा न आए फ़िर...तुझक़ो सितमक़ा वास्ता,मुझक़ो मिटाक़े भूल ज़ा.......हादी मछलीशहरी
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ख़ैरात क़ी मोहब्बतसे,
हमक़ो वास्ता नहीं...l
तू मेरे हक़क़ी नफ़रत ही,
मुझक़ो लौटा दे.......ll
9219ज़ो हर क़दमपें,मिरे साथ साथ रहता था...ज़रूर क़ोई न क़ोई तो,वास्ता होग़ा.......आशुफ़्ता चंगेज़ी
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उनसे अब हमारा,
क़ोई वास्ता तो नहीं...
लेक़िन आज़ भी उनक़े हिस्सेक़ा,
वक़्त तन्हा ग़ुज़ारते हैं.......
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