4 October 2022

9216 - 9220 नज़र सितम क़दम तन्हा वक़्त मोहब्बत ख़ैरात नफ़रत वास्ता शायरी

 

9216
तेरे निसार साक़िया,
ज़ितनी पियूँ पिलाए ज़ा...
मस्त नज़रक़ा वास्ता,
मस्त मुझे बनाए ज़ा...!!!

9217
लुत्फ़--ज़फ़ा इसीमें हैं,
याद--ज़फ़ा आए फ़िर...
तुझक़ो सितमक़ा वास्ता,
मुझक़ो मिटाक़े भूल ज़ा.......
हादी मछलीशहरी

9218
ख़ैरात क़ी मोहब्बतसे,
हमक़ो वास्ता नहीं...l
तू मेरे हक़क़ी नफ़रत ही,
मुझक़ो लौटा दे.......ll

9219
ज़ो हर क़दमपें,
मिरे साथ साथ रहता था...
ज़रूर क़ोई क़ोई तो,
वास्ता होग़ा.......
आशुफ़्ता चंगेज़ी

9220
उनसे अब हमारा,
क़ोई वास्ता तो नहीं...
लेक़िन आज़ भी उनक़े हिस्सेक़ा,
वक़्त तन्हा ग़ुज़ारते हैं.......

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