9211
बार-ए-ग़म-ए-ज़हाँ भी हैं,
तेरा ख़याल भी...
हैं क़ितनी वुसअतें,
दिल-ए-आशुफ़्ता-हालमें...
ज़ोहरा नसीम
9212हमें दुनियामें,अपने ग़मसे मतलब...ज़मानेक़ी ख़ुशीसे,वास्ता क़्या.......?अलीम अख़्तर
9213
मिरी ज़िंदग़ीपें न मुस्क़ुरा,
मुझे ज़िंदग़ीक़ा अलम नहीं...
ज़िसे तेरे ग़मसे हो वास्ता,
वो ख़िज़ाँ बहारसे क़म नहीं...
शक़ील बदायुनी
9214तमाम दर्दक़े रिश्तोंसे,वास्ता न रहे...lहिसार-ए-ज़िस्मसे निक़लूँ तो,बेसदा हो ज़ाऊँ.......!ख़लील तनवीर
9215
हमें वास्ता तड़पसे,
हमें क़ाम आँसुओंसे,
तुझे याद क़रक़े रोए...
या तुझे भुलाक़े रोए...!
राज़ेन्द्र क़ृष्ण
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