21 May 2017

1327


यह भी एक जमाना
देख लिया हमने,

दर्द जो अपना सुनाया तो
तालियां गूँज उठी महफ़िल में ।

1326


रहते हैं आस-पास ही
लेकिन साथ नहीं होते…
कुछ लोग जलते हैं मुझसे

बस खाक नहीं होते|

20 May 2017

1325


मोहब्बत से रिहा होना ज़रूरी हो गया है...!
मेरा तुझसे जुदा होना जरूरी हो गया है...
वफ़ा के तुज़ुर्बे करते हुए तो उम्र गुज़री है...

ज़रा सा बेवफा होना जरूरी हो गया है . . . !

1324


वजह की तलाश
न तब थी, न अब है . . .
बेवजह तुझे याद करना

आदत है मेरी . . . . . . .

1323


दर्द से हाथ न मिलाते तो और क्या करते,
गम के आंसू न बहते तो और क्या करते,
उसने मांगी थी हमसे रौशनी की दुआ,

हम खुद को न जलाते तो और क्या करते . . . !

1322


तुम खुश-किश्मत हो,
जो हम तुमको चाहते है वरना,
हम तो वो है जिनके ख्वाबों मे भी लोग,

इजाजत लेकर आते है।

1321


गम मिलते हैं तो,
और निखरती है शायरी,
बात यह है तो...

सारे जमाने का शुक्रिया l

19 May 2017

1320


जो कहती थी के तू न मिला . . .
तो मर जाएंगे हम...,

वो आज भी ज़िंदा है,
ये बात किसी और से कहने के लिए . . . !

1318 गुनाह सजा बेवफा कबूल शायरी


हर गुनाह कबूल है हमें,
    "बस..."      
सजा देने वाला,
बेवफा न हो...!

1319


ना कर गिला मेरे बहते अश्को का,
मेरे दिल को सभी ने रुलाया है,
न ढूंढो मेरे दिल के किताब में खुशियों का पन्ना...

हर एक पन्ना मेरे किसी अपने ने ही जलाया है...

1317


दिल में आप हो और कोई खास कैसे होगा;
यादों में आपके सिवा कोई पास कैसे होगा;
हिचकियॉं कहती हैं आप याद करते हो;

पर बोलोगे नहीं तो मुझे एहसास कैसे होगा।

1316


कितनी अजीब है
मेरे अन्दर की तन्हाई भी,
हजारो अपने है

मगर याद तुम ही आते हो…

14 May 2017

1315


समझ नही आ रहा किसकी सुनु
आँख कह रही सोने दे,
दिल कह रहा है

थोडा और रो लेने दे...!

13 May 2017

1314


ना कोई इजहार है,
ना कोई इकरार है,
फिर ना जाने क्यूं...

ये दिल इतना बेकरार है l

1313


दिल मजबूर हो रहा है
तुम से बात करने को,

बस जिद ये है कि
सिलसिले का आग़ाज़ तुम करो...

1312


मुझे अपनी मौत का,
तो कोई गम नहीं है लेकिन...
तेरे आशियां पे मरते,

तो कुछ और बात होती…....

1311


ऐ इश्क़ सुना था तू अँधा है...

फिर मेरे घर का रास्ता,
तुझे किसने बताया...?

12 May 2017

1310


एक अजीब सा मंजर नज़र आता है,
हर एक आँसूं समंदर नज़र आता हैं,
कहाँ रखूं मैं शीशे सा दिल अपना,

हर किसी के हाथ मैं पत्थर नज़र आता हैं…

1309


बड़ी अजीबो-गरीब हैं
नादाँ दिल की ख्वाहिश।
या रब मेरे !
अमल में कुछ भी नहीं और

दिल तलब्गार हैं जन्नत का।

1308


अपने हर आह की दास्तां अर्ज किया है हमने l
अपने हर जुर्म का बयां दर्ज किया है हमने ll

मुजरिम हुआ ऐ हुस्न, सूली पे लटका दो मुझे l
गुनाह कुबूल है मुझे, तुमसे इश्क किया है हमने ll

मेरे गजल सुबूत हैं, देख लो ऐ दिल के मालिक l
अपने हर आंसू की कीमत वसूल किया है हमने ll

तेरे दर पे मुझे कुछ न मिलेगा, ये जानकर भी l

इस दिल के सहारे तेरी बंदगी किया है हमने ll