2 July 2018

2951 - 2955 इश्क़ मोहब्बत मुकर्रर अदालत गवाह महफ़िल मुक़म्मल ऐतबार इंतज़ार यकीन चर्चे मुकाम हासिल नाम शायरी


2951
तेरी हार तो मुकर्रर हैं,
अदालते-श्क़में;
बस दिल हैं मेरा जो,
गवाही नहीं देता.......!

2952
लो हम गए हैं,
महफ़िल दीवानोकी सजाने;
अब वो आये जिसे,
बात इश्क़की मुक़म्मल करनी हो...

2953
मौतपर भी हैं यकीन,
उनपर भी हैं ऐतबार...
देखते हैं, पहले कौन आता हैं,
दोनोंका हैं इंतज़ार.......!

2954
मुकाम हासिल हमने,
कुछ यूँ किया गालिब...
कि तुम्हारी जीतसे ज्यादा, 
हमारी हारके चर्चे हैं...!

2955
मुस्कुरा जाता हूँ !
अक्सर गुस्सेमें भी,
तेरा नाम सुनकर...
तेरे नामसे इतनी मोहब्बत हैं;
तो सोच...
तुझसे कितनी होगी.......!

30 June 2018

2946 - 2950 जिंदगी तकदीर बाजी खेल फरियाद अरमान मौसम वक्त फितरत अन्दाज़ शायरी


2946
आज भी हारी हुई बाजी,
खेलना पसंद हैं हमें...
क्योंकी हम तकदीरसे ज्यादा,
खुद पे भरोसा करते हैं.......!

2947
जिंदगी ऐसी ना जियो,
कि लोग 'फरियाद' करे;
बल्की ऐसी जियो...
कि लोग तुम्हे 'फिर-याद' करे...!

2948
सूखे पत्ते भीगने लगे हैं,
अरमानोंकी तरह;
मौसम फिर बदल गया,
इंसानोकी तरह.......

2949
वक्त, मौसम और लोगोंकी,
एक ही फितरत होती हैं;
कब, कौन और कहाँ बदल जाए,
कुछ कह नहीं सकते.......!

2950
ज़िंदा रहनेका कुछ ऐसा अन्दाज़ रखो,
जो तुमको ना समझे उन्हें नज़रंदाज रखो,
तुमने किया याद, कभी भूल कर हमें,
हमने तुम्हारी यादमें, सब कुछ भुला दिया...

29 June 2018

2941 - 2945 दिल मोहब्बत याद वादा हरजाई आदत नाराज हकीकत फ़ुरसत इंतजार गरूर हैरत जुर्म लम्हे जवाब शायरी


2941
उसे हम याद आते हैं,
फ़ुरसतके लम्होंमें,
मगर...
ये भी हकीकत हैं,
उसे फ़ुरसत नहीं मिलती...!

2942
कहाँसे लाऊँ हुनर उसे मनानेका,
कोई जवाब नहीं था उसके रूठ जानेका;
मोहब्बतमें सजा मुझे ही मिलनी थी,
क्योंकि जुर्म मेरा था उनसे दिल लगानेका।

2943
वादा करके वो निभाना भूल जाते हैं,
लगाकर आग फिर वो बुझाना भूल जाते हैं;
ऐसी आदत हो गयी हैं अब तो उस हरजाईकी,
रुलाते तो हैं मगर मनाना भूल जाते हैं।

2944
नाराजगीका दौर भी,
थम जाएगा एक दिन;
करोगे इंतजार,
जहांसे हम गुजरा करते थे...

2945
वो खुदपर गरूर करते हैं,
तो इसमें हैरतकी कोई बात नहीं...
जिन्हें हम चाहते हैं,
वो आम हो ही नहीं सकते...!

28 June 2018

2936 - 2940 दिल ताजमहल कयामत ख्याल आँख आँसु हसीन रिश्ते फितरत बदनाम शायरी हैंहीं


2936
कुछ तो बात हैं चाहतमें
वरना.......
एक लाशके लिये कोई
ताजमहल नहीं बनाता...!

2937
"तु दिलसे ना जाये तो मैं क्या करू,
तु ख्यालोंसे ना जाये तो मैं क्या करू,
कहते हैं ख्वाबोंमें होगी मुलाकात उनसे,
पर नींद आये तो मैं क्या करू......."

2938
मेरी आँखोंमें झाँकनेसे पहले,
जरा सोच लीजिये हुजूर,
जो हमने पलके झुका ली तो कयामत होगी,
और हमने नजरें मिला ली तो मुहब्बत...!!!

2939
ख्वाबोंका रंगीन होना गुनाह हैं,
इंसानका जहीन होना गुनाह हैं l

कायरता समझते हैं लोग मधुरताको,
जुबानका शालीन होना गुनाह हैं l

खुदकी ही लग जाती हैं नजर,
हसरतोंका हसीन होना गुनाह हैं l

लोग इस्तेमाल करते हैं नमककी तरह,
आँसुओंका नमकीन होना गुनाह हैं l

दुश्मनी हो जाती हैं मुफ्तमें सैंकड़ोंसे,
इंसानका बेहतरीन होना गुनाह हैं l

2940
रिश्ते तोड़ देना,
हमारी फितरतमें नहीं,
हम तो बदनाम हैं,
रिश्ते निभानेके लिए.......

2931 - 2935 प्यार बेशुमार खामोशी बेवफा याद कांटे मज़ाक मुलाकात नाराज वास्ता गम शायरी


2931
खामोशीसे बिखरना गया हैं,
हमें अब खुद उजड़ना गया हैं l

किसीको बेवफा कहते नहीं हम,
हमें भी अब बदलना गया हैं l

किसीकी यादमें रोते नहीं हम,
हमें चुपचाप जलना गया हैं l

गुलाबोंको तुम अपने पास ही रखो,
हमें कांटोंपें चलना गया हैं...!

2932
हमने भी कभी प्यार किया था,
थोड़ा नहीं बेशुमार किया था;
दिल टूटकर रह गया,
जब उसने कहा,
अरे मैने तो मज़ाक किया था...

2933
ज्यादा देर यूँ एक जगह नहीं रूकता हूँ मैं,
बंजारोंका कभी कोई ठिकाना हुआ हैं क्या;
दीवानोंकी बातें भला कोई समझे तो कैसे,
दीवानोंका कभी कोई दीवाना हुआ हैं क्या...

2934
कब रहे हो,
मुलाकातके लिये,
हमने बादल रोका हैं...
तुम्हे भिगानेके लिये.......!

2935
तू नाराज रहा कर,
तुझे वास्ता हैं खुदाका,
एक तेरा ही चेहरा खुश देखकर तो,
हम अपना गम भुलाते हैं...

26 June 2018

2926 - 2930 दिल मोहब्बत प्यार जान सबूत गुनाह लाज़मी जुदाई तन्हा सजा महफ़िल मसरूफ़ शायरी हैंहींपें


2926
सबूत गुनाहोंके होते हैं...
अपनी बेगुनाह मोहब्बतका,
क्या सबूत दू.......!

2927
हर रोज कुछ कहना लाज़मी नहीं,
पर ये जान लो...
तुम ही हो जिसको इस दिलमें,
खास जगह दी हैं.......!

2928
लाजमी तो नही हैं,
कि तुझे आँखोंसे ही देखूँ;
तेरी यादका आना भी,
तेरे दीदारसे कम नही...!!

2929
जो तू चाहती हो,
तो ये जुदाई भी सह लेंगे;
तू सजा महफ़िल,
हम तन्हा रह लेंगे.......

2930
बहुत मसरूफ़ हो शायद,
जो हम को भूल बैठे हो;
ये पूछा कहाँपें हो,
यह जाना के कैसे हो...

25 June 2018

2921 - 2925 जिंदगी दुनिया राह गम कयामत मंजिल गुम रास्ते तमीज़ बात झूठ मीठा आँसू आँखे शायरी


2921
जिंदगीकी राहोमें,
रंज और गमके मेले हैं !
भिड हैं कयामतकी,
फिर भी हम अकेले हैं !!!

2922
मंजिल मिल ही जायेगी,
भटकनेपर ही सही 
गुमराह तो वो लोग हैं,
जो कभी घरसे निकले ही हीं...!

2923
मुझे मालूम था...
कि वो रास्ते कभी,
मेरी मंजिलतक नहीं जाते थे,
फिर भी मैं चलता रहा...
क्यु की उस राहमें,
कुछ अपनोंके घर भी आते थे...।

2924
सचको तमीज़ ही नहीं,
बात करनेकी;
झूठको देखो,
कितना मीठा बोलता हैं.......

2925
आँसू बिना आँखे,
इतनी खूबसूरत नहीं होती,
गम बिना खुशीकी,
कोई किमत हीं होती।
अगर मिल जाती हर चीज चाहनेसे,
तो दुनियामें दुआओकी,
जरुरत नहीं होती।

24 June 2018

2916 - 2920 याद वजह सुकून जहन साँस भूल दर्द गम बहाने तलाश शायरी


2916
किसी को याद करने कि,
वजह नहीं होती हर बार,
जो सुकून देते हे वो,
जहनमें जिया करते हैं...

2917
तुम याद हर साँसके साथ रहे हो...
अब तुम ही बताओ,
तुम्हारी याद रोक दूँ...
या अपनी साँस.......!

2918
जब तक जिन्दा हूँ,
हाल तो पूछ लिया करो...
इतना तो हम भी जानते हैं,
मिट्टीमें सोने के बाद तो...
घरवाले भी भूल जाते हैं !

2919
बढ रहा हैं दर्द गम,
उस को भुला देनेके बाद;
याद उसकी और आई,
खत जला देनेके बाद...

2920
वो अचानक नहीं बिछड़ी मुझसे...
न जाने कबसे.......
उसे एक बहानेकी
तलाश थी l