8 September 2019

4701 - 4705 जिंदगी प्यार मुसीबत यार ज़माने आईना लफ्ज खुशियाँ अरमान परेशान पहचान शायरी


4701
भूलकर भी, मुसीबतमें,
पड़ना कभी...
खामखां अपने और परायोंकी
पहचान हो जाएगी...!

4702
यार तू साथ था तो,
ज़मानेमें चर्चे थे मेरे...!
तेरे जानेके बाद ना भी,
मुझसे मेरी पहचान पूछता हैं...!

4703
पहचानकी नुमाईश,
ज़रा कम करो...
जहाँ "मैं" लिखा हैं,
उसे "हम" करो...!

4704
खुशियाँ कम और अरमान बहुत हैं
जिसे भी देखो परेशान बहुत हैं ।।
करीबसे देखा तो निकला रेतका घर
मगर दूरसे इसकी शान बहुत हैं ।।
कहते हैं सचका कोई मुकाबला नहीं
मगर आज झूठकी पहचान बहुत हैं ।।
मुश्किलसे मिलता है शहरमें आदमी
यूँ तो कहनेको इन्सान बहुत हैं ।।

4705
कभी संभले तो कभी बिखरते नजर आये हम,
जिंदगीके हर मोड़पर खुदमें सिमटते आये हम !
यूँ तो जमाना कभी खरीद नहीं सकता हमें,
मगर प्यारके दो लफ्जोमें सदा बिकते आये हम !
हम खुद रुठ जाते हैं, और खुदको मनानेके साथ आपको भी मनाते हैं,
खुदा करे हम जैसी महबूबा किसीको ना मिले,
जो प्यारकी नोकझोकका मजा ही ले पाये...!
                                                                   भाग्यश्री

7 September 2019

4696 - 4700 उम्र वाक़िफ़ तकलीफ़ वक्त राय फ़िक्र बेशक पहचान शायरी


4696
ग़ुज़री तमाम उम्र,
उसी शहरमें जहाँ
वाक़िफ़ सभी थे,
कोई पहचानता था...!

4697
हमें कोई ना पहचान पाया...
कुछ अंधे थे,
कुछ अंधेरोंमें थे...!

4698
चेहरा देखकर इंसान,
पहचाननेकी कला थी मुझमें,
तकलीफ़ तो तब हुई,
जब इन्सानोंके पास चेहरे बहुत थे...।

4699
तू छोड़ दे कोशिशें इन्सानोंको पहचाननेकी,
यहाँ जरुरतोंके हिसाबसे सब नकाब बदलते हैं;
मेरे बारेमें कोई राय मत बनाना गालिब,
मेरा वक्त भी बदलेगा, और तेरी राय भी...

4700
तारीफ़ करनेवाले बेशक
आपको पहचानते होंगे,
मगर फ़िक्र करने वालोको
आपको ही पहचानना होगा!

4691 - 4695 लफ्ज़ बन्दगी ज़िन्दगी दुनिया बेशक इंतजार यार तमन्ना जन्नत बेपनाह नादान प्यार शायरी


4691
प्यार कहो तो दो ढाई फ्ज़,
मानो तो बन्दगी;
सोचो तो गहरा सागर,
डूबो तो ज़िन्दगी;
करो तो आसान,
निभाओ तो मुश्किल;
बिखरे तो सारा जहाँ,
और सिमटे तो "तुम"...
"सिर्फ तुम".......!

4692
बेशक थोड़ा इंतजार मिला हमको,
पर दुनियाका सबसे हसीं यार मिला हमको,
रही तमन्ना अब किसी जन्नतकी...
आपकी पनाहमें वो प्यार मिला हमको...।

4693
सादगी अगर हो लफ्जोमेंमे,
यकीन मानो, प्यार बेपनाह और...
यार बेमिसाल मिल ही जाता हैं...!

4694
धोखा मिला जब प्यारमें,
ज़िंदगीमें उदासी छा गयी,
सोचा था छोड़ दें इस राहको,
कम्बख़त मोहल्लेमें दूसरी गयी...

4695
ये सांपोकी बस्ती हैं,
ज़रा देखके चल नादान...
यहाँका हर शख्स,
बड़े प्यारसे डसता हैं...

5 September 2019

4686 - 4690 मोहब्बत ज़िन्दगी ऐतबार कसम सब्र रिश्ता ग़म प्यार शायरी


4686
इंसान अगर प्यारमें पड़े,
तो ग़ममें पड़ ही जाता हैं...
क्योंकि प्यार किसीको चाहे जितना भी करो,
थोड़ासा तो कम पड़ ही जाता हैं...

4687
मैने दरवाजे पर लिखा,
"अन्दर आना सख्त मना हैं l"
मोहब्बत हंसती हुई आयी,
और बडे प्यारसे बोली,
माफ करना, मैं तो अंधी हूँ...!

4688
अब तो खुदापर भी ऐतबार नहीं,
अपनी ज़िन्दगीसे भी प्यार नहीं;
तू कभी भूलसे भी हमें प्यार करे,
तेरी कसम हमें इसका ऐतबार नहीं...!

4689
प्यारमें हमारे सब्रका,
इम्तेहा तो देखो...
वो मेरी बाहोंमें सो गई रोते-रोते,
किसी औरके लिए.......

4690
भूख रिश्तोंको भी लगती हैं,
प्यार परोसकर तो देखिये...!

4 September 2019

4681 - 4685 मोहब्बत ज़िन्दगी प्रेम इश्क़ बेवजह दीवार पल ग़म प्यार शायरी


4681
प्यार ख़ुद, ख़ुदा हैं;
या तो पूजा कर ले...
या तो प्यार.......!

4682
ये प्रेम, प्यार, इश्क़, मोहब्बतके
एक-एक अक्षर विकलांग क्यों हैं...?

4683
नाराजगी भी बड़ी प्यारीसी चीज हैं,
चंद पलोमें प्यारको...
दुगुना कर देती हैं.......!

4684
टूट कर बिखर जाते हैं वो लोग,
मिट्टीकी दीवारोंकी तरह...
जो खुदसे भी ज्यादा,
किसी औरसे प्यार करते हैं...!

4685
बेवजह अब ज़िन्दगीमें,
प्यारके बीज बोए कोई...
मोहब्बतके पेड़ हमेशा,
ग़मकी बारिश ही लाते हैं...!

4676 - 4680 जुदाई आँख जमाने नफरत तुफान शौक शर्ते यार तोहफा फर्क काबिल प्यार शायरी


4676
जुदाईका हमे क्या,
वो हसते हसते सह लेंगे...
आँखोमें उनके प्यार दिखाई दे,
तो जमानेसे रुखवत कर लेंगे...!

4677
कोई प्यारसे जरा सी,
फुंक मार दे तो बुझ जाऊँ...
नफरतसे तो तुफान भी,
हार गए मुझे बुझानेमें...!

4678
मेरे अकेलेपनको,
मेरा शौक ना समझो यारो...
बड़े ही प्यारसे तोहफा दिया हैं,
किसी चाहने वालेने.......!

4679
"कोई छुपाता हैं, कोई बताता हैं;
कोई रुलाता हैं, तो कोई हंसाता हैं;
प्यार तो हर किसीको,
किसी किसीसे हो जाता हैं;
फर्क तो इतना हैं कि,
कोई अजमाता हैं और कोई निभाता हैं...!"

4680
कैसे करे हम खुदको,
उनके प्यारके काबिल... 
जब हम आदते बदलते हैं,
तो वो शर्ते बदल देते हैं...!

1 September 2019

4671 - 4675 ज़िंदगी पहचान तूफ़ान शर्त रंग आँख इंतजार तारीफ आदत ज़ख्म प्यार शायरी


4671
तेरे प्यारने ज़िंदगीसे,
पहचान कराई हैं
मुझे वो तूफ़ानोसे,
फिर लौटाके लाई हैं

4672
शर्तपर खेलूंगी प्यारकी रंगपंचमी,
जीतू तो, तुझे पाऊँ...!
हारु तो, तेरी हो जाऊँ...!!!
 
4673
रोती हूई ख़ोंमें इंतजार होता हैं,
ना चाहते हुए भी प्यार होता हैं;
क़्यूँ देखते हैं हम वो सपने,
जिनके टुटनेपर भी इंतजार होता हैं...

4674
उसने गुस्सेसे कहां,
आपकी तारीफ ?
हमने प्यारसे कहां,
जी भरके कीजिये.......!

4675
सबको प्यार देनेकी आदत हैं में,
मुश्किलमे साथ देनेकी आदत हैं में;
कितना भी गेहरा ज़ख्म दे कोई,
उतना ही ज़्यादा मुस्कुरानेकी आदत हैं में...

31 August 2019

4666 - 4670 ज़िंदगी दुनिया अजीब रस्म मोहब्बत नफरत दस्तूर जालिम जुदाई प्यार शायरी


4666
अजीब रस्म हैं दुनियाकी,
कहते हैं सबसे मिल जुलकर रहो,
प्यार मोहब्बतसे रहो...
और जब किसीसे प्यार हो जाये,
तो कहते हैं इन सबसे दूर रहो...

4667
कुछ लोग तो आपसे,
सिर्फ इसलिए भी नफरत करते हैं...
क्योंकि...
बहुत सारे लोग, आपसे प्यार करते हैं...!


4668
ज़िंदगीमें कभी प्यार करनेका मन हो तो,
अपने दुखोंसे प्यार करना,
क्योंकि...
दुनियाका दस्तूर हैं,
जिसे जितना चाहोगे उसे उतना दूर पाओगे...

4669
काश यह जालिम जुदाई होती l
खुदा तूने यह चीज़ बनायीं होती l
हम उनसे मिलते प्यार होता l
ज़िन्दगी जो अपनी थी वो परायी होती...ll

4670
मैने कहां बहुत प्यार
आता हैं तुमपर !
वो मुस्कुराकर बोले,
और आता ही क्या हैं तुम्हे...!

28 August 2019

4661 - 4665 कयामत नफरत इस्तीफा आँखे दर्द़ लम्हें प्यार शायरी


4661
यूँ ही थामे रहना प्यारसे हमें,
क्योंकि...
जो छूटे तुझसे,
तो टूट जाएंगे हम...

4662
तुम नफरतका धरना,
कयामत तक जारी रखो;
मैं प्यारका इस्तीफा,
ज़िंदगीभर नहीं दूंगा...

4663
मुझे तेरे प्यारमें,
ऐसी ज़बरदस्ती चाहिए...
जो मैं छोडूँ हाथ तेरा तो,
तू बाँहोको थाम ले....

4664
कुछ बातें कह दी जायें,
तो मुनासिब हैं;
कि प्यार हो या नफरत,
ज़ाहिर हो जाये तो अच्छा हैं...

4665
छलकता हैं कुछ,
इन आँखोंसे रोज़...
कुछ प्यारके कतऱे होते हैं,
कुछ दर्द़के लम्हें.......

4656 - 4660 लफ़्ज़ ज़ुबान मज़बूरी सवाल आबरू रिश्ता आख कर्ज़ मतलब खामोश शायरी


4656
लफ़्ज़ोंके बोझसे थक जाती हैं,
ज़ुबान कभी कभी...
पता नहीं खामोशी,
मज़बूरी हैं या समझदारी?

4657
हजार जवाबोंसे,
अच्छी हैं खामोशी...
ना जाने कितने सवालोंकी,
आबरू रखती हैं...!

4658
हम समंदर हैं,
हमें खामोश रहने दो;
ज़रा मचल गए तो,
शहर ले डूबेंगे.......

4659
रिश्तोंकी जोड़ी कमज़ोर होती हैं,
आखोंकी बातें खामोश होती हैं;
कोई पूछे जब दोस्तीका मतलब,
हमारी उंगली बस आपके ओर होती हैं...

4660
तेरी दोस्तीने बहुत कुछ सीखा दिया,
मेरी खामोश दुनियाको जैसे हँसा दिया;
कर्ज़दार हूँ मैं खुदाका, जिसने मुझे,
आप जैसे दोस्तसे मिला दिया...!