28 August 2019

4656 - 4660 लफ़्ज़ ज़ुबान मज़बूरी सवाल आबरू रिश्ता आख कर्ज़ मतलब खामोश शायरी


4656
लफ़्ज़ोंके बोझसे थक जाती हैं,
ज़ुबान कभी कभी...
पता नहीं खामोशी,
मज़बूरी हैं या समझदारी?

4657
हजार जवाबोंसे,
अच्छी हैं खामोशी...
ना जाने कितने सवालोंकी,
आबरू रखती हैं...!

4658
हम समंदर हैं,
हमें खामोश रहने दो;
ज़रा मचल गए तो,
शहर ले डूबेंगे.......

4659
रिश्तोंकी जोड़ी कमज़ोर होती हैं,
आखोंकी बातें खामोश होती हैं;
कोई पूछे जब दोस्तीका मतलब,
हमारी उंगली बस आपके ओर होती हैं...

4660
तेरी दोस्तीने बहुत कुछ सीखा दिया,
मेरी खामोश दुनियाको जैसे हँसा दिया;
कर्ज़दार हूँ मैं खुदाका, जिसने मुझे,
आप जैसे दोस्तसे मिला दिया...!

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