4576
दरख़्त ऐ नीम
हूँ,
मेरे नामसे
घबराहट तो होगी;
छांव ठंडी ही
दूँगा,
बेशक पत्तोंमें कड़वाहट
होगी...
4577
ये मेरा फ़र्ज़
बनता हैं साहब,
मैं उसके हाथ
धुलवाऊँ...
सुना हैं उसने,
मेरे नामपर
कीचड़ उछाला हैं...!
4578
जिंदगी जिंददिलीका नाम हैं।
मुर्दा दिल क्या
खाक जिया करते हैं।।
4579
अज़ीब पहेली हैं,
कहीं रिश्तोंके नाम
ही नहीं होते...
और कहीं पर,
सिर्फ नामके
ही रिश्ते रह
जाते हैं...!
4580
मेरे लिए अहसास
मायने रखता हैं...
रिश्तेका नाम... चलो,
तुम रख
लो...!
नहीं मांगता ऐ ख़ुदा कि ज़िंदगी सौ साल की दे,
ReplyDelete~
दे भले चंद लम्हों की लेकिन कमाल की दे