4611
यहाँ हर कोई
रखता हैं खबर,
गैरोंके गुनाहोंकी...
अजीब फ़ितरत हैं,
कोई
आईना नहीं रखता...।
4612
आईना और दिल,
वैसे तो दोनो
ही बडे नाज़ुक
होते हैं...
लेकिन, आईनेमें तो सभी दिखते
हैं,
और दिलमें सिर्फ अपने
दिखते हैं...!
4613
अंदाज शायराना,
बेशक हैं हमारा
भी, लेकिन...
हर दफा टूटनेकी आवाज हो,
वो आईना भी
नहीं हैं हम.......
4614
एक आईना और एक
मैं,
इस दुनियामें तेरे
दिवाने दो...
4615
मत पूछिये हमसे,
हद्द हमारी गुस्ताख़ियोंकी...
रखकर ज़मींपे आईना,
आसमाँ
कुचल देते हैं...!
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