9 August 2019

4586 - 4590 होंठ ज़िक्र आँखे पैग़ाम दुनिया रिश्ता फर्क शराफत शख्स मशहुर नाम शायरी


4586
होंठोने तेरा ज़िक्र किया,
पर मेरी आँखे तुझे पैग़ाम देती हैं...
हम दुनियासे तुझे छुपाएँ कैसे,
मेरी हर शायरी तेरा ही नाम लेती हैं...!

4587
बेनाम ही रखले अपना रिश्ता...
नाम देंगे तो,
दुनिया बदनाम कर देगी...!

4588
पायलका हैं नाम शराफत,
और घुंघरू हैं बदनाम;
बस दोनोंमें फर्क हैं इतना कि,
एक सुबह तो एक शाम.......!

4589
गुमनाम हैं वो शख्स,
जो शहीद हो गया।
नारे लगाने वाला,
मशहुर हो गया।।

4590
सर झुकाकर,
रब वहांसे चल दिया...
नाम पर उसके,
जहां दंगा हुआ.......

No comments:

Post a Comment