2 August 2019

4556 - 4560 रूह जिस्म जिंदगी औक़ात जुबां वादा इजहार प्यार फ़िदा कुर्बान इश्क़ शायरी


4556
इक रूहने जाते हुए,
ये जिस्मसे कहा...
ले देखले अब तेरी,
क्या औक़ात रह गई...!

4557
जिसकी रूहमें,
बस गया हो कोई...
उसकी नज़दीकियोंके,
मायने ना पूछिये...!

4558
सिर्फ जुबांसे किया हुआ ही वादा नहीं होता,
बार-बार इजहारसे प्यार ज्यादा नहीं होता;
मुझे जानना हैं तो मेरी रूहमें समा जाओ,
सिर्फ कनारेसे समंदरका अंदाजा नहीं होता...!

4559
हुस्नकी मल्लिका हो,
या साँवली सी सूरत...
इश्क़ अगर रूहसे हो,
तो हर चेहरा कमाल लगता हैं...!

4560
इश्क़ और दोस्ती मेरे दो जहांन हैं,
इश्क़ मेरी रूह, तो दोस्ती मेरा ईमान हैं;
इश्क़ पर तो फ़िदा कर दू अपनी पूरी जिंदगी,
पर दोस्ती पर, मेरा इश्क़ भी कुर्बान हैं...!

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