19 August 2019

4621 - 4625 मुहब्बत गम हकीकत राज़ आँख इश्क़ अश्क़ वक़्त बेहिसाब याद ज़ख्म मुस्कुरा शायरी


4621
तु बोले या ना बोले,
तेरे बोलनेका गम नही;
तु एक बार मुस्कुरा दे,
सौ बार बोलनेसे कम नही...

4622
तुम आसपास मेहसुस होती हो,
तो मुस्कुराता हूँ...!
और फिर हकीकतसे,
हार जाता हूँ.......!!!

4623
राज़ मुहब्बतका,
छुपा रहा हैं कोई...
हैं श्क़ आँखोंमें और,
मुस्कुरा रहा हैं कोई...

4624
किसीने हमसे कहा,
इश्क़ धीमा ज़हर हैं...
हमने मुस्कुराके कहा,
हमें भी जल्दी नहीं हैं...!

4625
वक़्त, बेवक़्त, बेहिसाब,
याद आता हैं कौई...
यूँ ज़ख्म मुझे देके,
मुस्कुराता हैं कौई...!

No comments:

Post a Comment