21 December 2021

7986 - 7990 महफ़िल ख़्वाब बदनाम आदत अल्फ़ाज़ साबित माफ़ दावा इल्ज़ाम शायरी

 

7986
महफ़िलसे उठ ज़ाने वालों,
तुम लोगोंपर क़्या इल्ज़ाम...
तुम आबाद घरोंक़े वासी,
मैं आवारा और बदनाम.......

7987
सब ज़ाननेक़ा मुझे दावा क़रते हैं,
वाख़िफ़ क़ोई ना हुआ...
इल्ज़ाम क़ई हैं सर पर,
पर अब तक़ साबित क़ोई ना हुआ...!

7988
क़ुछ नहीं तो सड़कोंपर,
चुग़लिया सरे-आम लग़ा लेते हैं l
हम ज़माने वाले हैं, हमे सब माफ़ हैं l
आओ सबपर इल्ज़ाम लग़ा देते हैं ll

7989
मेरे अल्फ़ाज़क़ो आदत हैं,
हौलेसे मुस्कुरानेक़ी...
मेरे लफ़्ज़ हैं क़ी अब क़िसीपर,
इल्ज़ाम नहीं लग़ाते.......

7990
ज़ाग़ने वालोंक़ी बस्तीसे,
ग़ुज़र ज़ाते हैं ख़्वाब...l
भूल थी क़िसक़ी मग़र,
इल्ज़ाम रातोंपर लग़ा...ll

20 December 2021

7981 - 7985 दुनिया क़सम क़सूर हक़ीक़त ख़ता सफ़ाई बदनाम ग़ुनाह इल्ज़ाम शायरी

 

7981
इल्ज़ाम क़ई,
हो सक़ते हैं मुझपर...
पर क़सम ख़ुदाक़ी,
क़सूर मेरा क़ुछ भी नहीं...

7982
बुरे नहीं थे,
बस हमपर बुरे होनेक़ा,
नाम लग़ा था l
अब बन ग़ए हैं,
वैसे ही ज़ैसा हमपर,
इल्ज़ाम लग़ा था ll

7983
दुनियाक़ो मेरी हक़ीक़तक़ा,
पता क़ुछ भी नहीं...
इल्ज़ाम हज़ारो हैं पर,
ख़ता क़ुछ भी नहीं.......

7984
बस यहीं सोचक़र,
क़ोई सफ़ाई नहीं दी हमने...
क़ि इल्ज़ाम झूठे ही सहीं,
पर लग़ाये तो मेरे अपने हैं...

7985
नाम क़म हैं,
हम बदनाम ज़्यादा हैं...
ग़ुनाह क़म हमारे हमपर,
इल्ज़ाम ज़्यादा हैं.......

18 December 2021

7976 - 7980 शौक़ शौख़ निग़ाहें रिहाई वफ़ा क़रार क़त्ल बर्बाद झूठ सज़ां इज्ज़त इल्ज़ाम शायरी

 

7976
रिहा हो ग़ई बाइज्ज़त वो,
क़िसी क़त्लक़े इल्ज़ामसे...
शौख़ निग़ाहोंक़ो अदालतोंने,
हथियार नहीं माना.......!

7977
हंसक़र क़बूल क़्या क़र ली,
आपक़ी सज़ांए मैंने ;
आपने तो दस्तूर हीं बना लिया,
हर इल्ज़ाम मुझपर लग़ानेक़ा...

7978
मैं हुआ बर्बाद,
अपने शौक़से...
आप पर तो,
मुफ़्तक़ा इल्ज़ाम हैं...
             शंक़र ज़ोधपुरी

7979
हमपर इल्ज़ाम,
झूठा हैं यारों...
मोहब्बत क़ी नहीं,
हो ग़यी थी.......!

7980
हमारी ही ग़लती हैं,
ज़ो हमने ये क़रार क़रा हुआ था l
हमने वो
 वफ़ाक़ा ज़ाम माँगा था ख़ुदासे,
ज़िसमे सिर्फ़ इल्ज़ाम भरा हुआ था...ll

7971 - 7975 नींद ख़फ़ा शाम ख़्वाब हिज़्र हसीना दिल दर्द इंतज़ार आँख़ें हसरत बेताबी शायरी

 

7971
इतनी हसरतसे ना देख़ा क़रो तुम,
और बेताबी ना पैदा क़रो तुम...
नींद कुछ ज़्यादा ख़फ़ा रहती हैं,
ऐसे ख़्वाबोंमें ना आया क़रो.......

7972
अज़ दिल--हर-दर्द-मंदी,
ज़ोश--बेताबी ज़दन...
हमा बे-मुद्दआई,
यक़ दुआ हो ज़ाइए...
मिर्ज़ा ग़ालिब

7973
देख़ले बुलबुल--परवानाक़ी बेताबीक़ो,
हिज़्र अच्छा हसीनोक़ा विसाल अच्छा हैं ll

7974
क़हीं ग़रे उतर ज़ाती हैं,
उसक़े लिये बेताबी हुई होग़ी l
उसक़ी हर बातमें,
इक़ बात नज़र आई होग़ी l
उफ़ ये इनक़ी बेताबी,
तक़ रही हैं राहोंक़ो, 
दिलसे भी ज़्यादा हैं,
इंतज़ार आँखोंमें...ll

7975
दिलक़ी बेताबी नहीं,
ठहरने देती हैं मुझे...
दिन क़हीं रात,
क़हीं सुब्ह, क़हीं शाम क़हीं...
                   नज़ीर अक़बराबादी

16 December 2021

7966 - 7970 इश्क़ फ़ितरत हसरत आँख़ें आसान मुश्क़िल दर्द दीदार बेताबी शायरी

 

7966
मेरी बेताबीक़ी मुश्क़िल,
अब आसाँ हो ग़ई...
बढ़ गया दर्द--दिल--बेताब,
तो क़म हो ग़या...

7967
तुझक़ो पाक़र भी,
क़म हो सक़ी बेताबी--दिल ;
इतना आसान तेरे,
इश्क़क़ा ग़म था ही नहीं...!

7968
नाहक़ हैं हवसक़े बंदोंक़ो,
नज़्ज़ारा--फ़ितरतक़ा दावा l
आँख़ोंमें नहीं हैं बेताबी,
दीदारक़ी बातें क़रते हैं ll

7969
ता-फ़लक़ ले ग़ई,
बेताबी--दिल...
तब बोले हज़रत--इश्क़, क़ि
पहला हैं ये ज़ीना अपना...
ज़ुरअत क़लंदर बख़्श

7970
हाल ख़ुल ज़ायेगा,
बेताबी--दिलक़ा हसरत...
बार बार आप उन्हें,
शौक़से देख़ा क़रें.......

14 December 2021

7961 - 7965 दिल फ़रियाद ख़बर नज़र साँस ख़िलौना बेताबी शायरी

 

7961
वर्ना क़्या था,
तरतीब--अनासिरक़े सिवाय...
ख़ाश क़ुछ बेताबियोंक़ा,
नाम इंसाँ हो ग़या.......
             ज़िग़र मुरादाबादी

7962
ऐसी तो बेअसर नहीं,
बेताबी--फ़िराक़...
फ़रियाद क़रूँ मैं और,
क़िसीक़ो ख़बर हो...!

7963
हम ख़िलौना क़्या बने,
हर क़िसीक़ो,
हमारे दिलसे ख़ेलनेक़ो,
बेताबी हो गई.......

7964
लौटक़र हम तुम चलो,
चलते हैं कुछ पल वापस...
उस वक़्तमें ज़ब थे,
थोड़े फ़ासले थोड़ी हया...
ज़ब थी बेताबी नज़रमें,
तेरे मेरे दरम्याँ.......

7965
मेरे दिलक़ी बेताबी,
हदसे बढ ज़ाती हैं...
ज़ब वो भरक़र मुझे बाहोंमें,
अपनी साँसोंक़ी तेज़ी सुनाती हैं...!!!

13 December 2021

7956 - 7960 इज़हार मोहब्बत ख़्वाहिश बेचैनी शिक़वा इल्ज़ाम चाँदनी तक़दीर बेताबी शायरी

 

7956
हैं सौ तरीक़े और भी,
बे-क़रार दिल...
इज़हार--शिक़वा,
शिक़वेक़े अंदाज़में हो...
                      मंज़र लख़नवी

7957
शबेग़ोर...
वो बेताबी--शब हाय फ़िराक़,
आज़ आरामसे सोना,
मेरी तक़दीरमें था...

7958
रातक़ी 
चाँदनीमें,
बेरंग हर बात थी ;
मुझे मोहब्बतक़ी,
ख़्वाहिश थी और...
उन्हें दूर ज़ानेक़ी,
बेताबी थी.......

7959
दिलक़ी बेताबी,
बयाँ होने लग़ी...
क़्या छुपाया हैं,
लबे-ख़ामोशमें...

7960
ऐसे ही मैं भी तड़प उठा था,
तेरी पलक़ोंक़ो क़िसी ग़ैरक़ी...
पलकोंक़े क़रीब देख़क़े,
मेरी बेताबी मेरी बेचैनीक़ो...
तुमने तब क़्यूँ नहीं समझा,
फ़िर इल्ज़ाम क़्यूँ.......

7951 - 7955 बेचारा दिल याद प्यार दिनरात अज़ीब परेशानी बेताबी शायरी

 

7951
बेताबसा फ़िरता हैं,
क़ई रोज़से 'आसी'...
बेचारेने फ़िर तुमक़ो,
क़हीं देख़ लिया हैं.......
                    आसी उल्दनी

7952
हाल--दिल ये हैं क़ी,
अज़ीबसी बेताबी हैं...
ज़ी भी रहे हैं,
ज़िया भी नहीं ज़ाता...!!!

7953
अपनी बेताबीक़ा,
मैं क़ैसे तुझसे इज़हार करुँ...
क़ैसे बतलाओ तुझे ज़ान--ज़ाना,
क़ितना मैं प्यार करुँ.......

7954
तुझसे मिलनेक़ी,
बेताबी हैं बहोत...
मिले तु तो,
परेशानी हैं बहोत.......

7955
चढ़ रहे थे दिन,
ढल रही थी रात ;
बेताबी फ़िर बढ़ने लगी,
ज़ब सताने लगी तेरी याद.......

10 December 2021

7946 - 7950 दिल अंज़ान महसूस साँस अल्फ़ाज़ सुक़ूँ मंज़िल बेरुख़ी ख़ामोशी बेताबी शायरी

 

7946
रख़ हाथ दिलपर मीरक़े,
दरियाफ़्त क़र लिया हाल हैं l
रहता हैं अक़्सर यह ज़वाँ,
क़ुछ इन दिनों बेताब हैं ll

7947
शायद क़ी इधर आक़े,
क़ोई लौट गया हैं...
बेताबीसे यूँ मुँहक़ो,
क़लेज़ा नहीं आता.......

7948
बेताबीक़ा, ख़ामोशीक़ा,
इक़ अंज़ानासा नग्मा हैं...
महसूस इसे क़रक़े देखो,
हर साँस यहाँ एक़ सदमा हैं...

7949
 ये क़ैसी बेरुख़ीसी,
छायी हैं हमारे दरमियाँ ;
अल्फ़ाज़ भी नहीं मिल रहे, 
ये बेताबी बयाँ करनेक़ो...ll

7950
बेताबी सुक़ूँक़ी,
हुईं मंज़िलें तमाम...
बहलाएँ तुझसे छुटक़े,
तबीअत क़हाँ क़हाँ.......

7941 - 7945 दिल सकूँ तमन्ना उम्मीद इंतज़ार आशिक़ी महफ़िल लफ्ज़ तलब बेताब बेताबी शायरी

 

7941
आशिक़ी सब्र-तलब और,
तमन्ना बेताब...
दिलक़ा क़्या रंग़ क़रूं,
ख़ून--ज़िग़र होते तक़...
                          मिर्ज़ा ग़ालिब

7942
ठहरने भी नहीं देती हैं,
उस महफ़िलमें बेताबी...
मग़र तस्क़ीन भी ज़ाक़र,
उसी महफ़िलमें होती हैं.......

7943
सुबहक़ा इंतेज़ारभर,
सारा दिन शाम होनेक़ी बेताबी...
ना चैन इसमें ना सकूँ उसमें,
बस इतनीसी मेरी क़हानी.......

7944
ये रात ये दिलक़ी धड़क़न,
ये बढ़ती हुई बेताबी...
एक़ ज़ामक़े ख़ातिर ज़ैसे,
बेचैन हो क़ोई शराबी.......

7945
ज़वाबक़ी बेताबी,
इंतज़ारक़ो इन्तहा बना देती हैं ;
क़हनेक़ो तो एक़ लफ्ज़ हैं,
पर उम्र उम्मीदमें गुज़र ज़ाती हैं...ll

5 December 2021

7936 - 7940 दिल इश्क़ तन्हा बेचैन अज़ीब क़सक़ महफ़िल सुबह शाम रात बेताबी शायरी

 

7936
एक अज़ीबसी बेताबी हैं,
तेरे बिना...
रह भी लेते हैं और,
रहा भी नहीं ज़ाता.......!

7937
दिलक़ी बेताबी,
नहीं ठहरने देती हैं मुझे...l
दिन क़हीं, रात क़हीं,
सुबह क़हीं, शाम क़हीं...ll
नज़ीर अक़बराबादी

7938
बेताबी क़्या होती हैं,
पूछो मेरे दिलसे...
तन्हा तन्हा लौटा हूँ,
मै तो भरी महफ़िलसे.......

7939
इश्क़में बेताबीक़ी,
इंतिहा हुई...
दिल बेचैन हो रहा हैं,
पल पल.......

7940
बेताबी अभी,
हदसे ग़ुज़री नहीं, शायद !
एक़ क़सक़सी हैं,
ज़ो सोने नहीं देती...!!!

4 December 2021

7931 - 7935 दिल इश्क़ वफ़ा मोहब्बत बेचैनियाँ फ़रेब वक़्त बेताबी बेक़रारी शायरी

 

7931
बेचैनियोंक़ी,
फ़ाँक़ शिक़ायत फ़िज़ूल हैं...
क़िसक़ो सुक़ूँ मिला हैं,
ज़हाने ख़राबमें.......

7932
वो अचानक़ नहीं बिछड़ा,
बड़े दिनोंसे थी बेक़रारी उसे.......

7933
समझ लिया फ़रेबसे,
मुझे तो आपने...
दिलसे तो पूछ लीज़िये,
बेक़रार क़्यों हैं.......

7934
दिलमें दर्द हैं,
आँख़ोंमें बेक़रारी हैं ;
हमक़ो लग़ी हैं,
इश्क़क़ी अज़ीब बेमारी हैं...!!!

7935
मोहब्बत क़रो तो,
अदाब--वफ़ा भी सीख़ो...
फ़ारिग़ वक़्तक़ी बेक़रारी,
मुहब्बत नहीं होती.......!