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मिटाईं ग़म-ख़्वारियोंक़ी राहें,
दिख़ाईं क़्यों यासक़ी निग़ाहें...
अबस भरीं मैंने सर्द आहें क़ि,
उड़ ग़ए होश हम-नफ़सक़े.......
शब्बीर रामपुरी
8957चुराईं क़्यूँ आपने निग़ाहें, क़ि...हो ग़ईं बंद दिलक़ी राहें...lमज़ा तो ज़ब था, ये तीर अक़्सर...इधरसे ज़ाते, उधरसे आते.......!!!नूह नारवी
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ये दुज़्दीदा निग़ाहें हैं क़ि,
दिल लेनेक़ी राहें हैं...
हमेशा दीदा-ओ-दानिस्ता,
ख़ाई हैं ख़ता हमने.......
अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद
8959फ़िर हल्क़ा-ए-क़ाक़ुलमें,पड़ीं दीदक़ी राहें...ज़ूँ दूद फ़राहम हुईं,रौज़नमें निग़ाहें.......मिर्ज़ा ग़ालिब
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निग़ाहें क़ाम देती हैं, न राहें...
मक़ान ओ ला-मक़ाँ वालेने मारा...
हफ़ीज़ ज़ालंधरी