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आपने तस्वीर भेज़ी मैंने,
देख़ी ग़ौरसे...
हर अदा अच्छी,
ख़मोशीक़ी अदा अच्छी नहीं...
ज़लील मानिक़पूरी
9542ख़मोशी दिलक़ो हैं,फ़ुर्क़तमें दिन रात lघड़ी रहती हैं,ये आठों पहर बंद llलाला माधव राम जौहर
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ख़मोशीसे मुसीबत,
और भी संगीन होती हैं l
तड़प ऐ दिल तड़पनेसे ज़रा,
तस्कीन होती हैं....... ll
शाद अज़ीमाबादी
9544ख़मोशी मेरी मअनी-ख़ेज़ थी,ऐ आरज़ू क़ितनी,क़ि ज़िसने ज़ैसा चाहा,वैसा अफ़्साना बना डाला...llआरज़ू लख़नवी
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उसे बेचैन क़र,
ज़ाऊँगा मैं भी...
ख़मोशीसे गुज़र ज़ाऊँगा,
मैं भी.......
अमीर क़ज़लबाश