19 August 2017

1681 - 1685 दिल मोहब्बत इज़हार चाहत मंजिल फ़ितरत नाराज अजनबी राहें रास्ता नसीहत बरसात शायरी


1681
मंजिलका नाराज होना भी,
जायज था...,
हम भी तो अजनबी राहोंसे
दिल लगा बैठे थे.......!

1682
मुझे मुहब्बत होनी थी,
सो हो ग़यी...
अब नसीहत छोड़िये,
और दुआ क़ीज़िए...!


1683
"कल तक उड़ती थी जो मुँह तक,
आज पैरोंसे लिपट गई,
चंद बूँदे क्या बरसी बरसातकी,
धूलकी फ़ितरत ही बदल गई... ”

1684
थक सा गया हैं,
मेरी चाहतोंका वजूद,
अब कोई अच्छा भी लगे
तो हम इज़हार नहीं करते...!!!

1685
कैसी अजीब सी हैं,
ये मोहब्बतकी राहें ,
रास्ता वो भटक गये और
मंजिल हमारी खो गयी.......!

18 August 2017

1676 - 1680 जिन्दगी तकदीर गम शीशा तस्वीर नाराज़ ख़ामोश शख्स वक्त मुस्कुराहट शायरी


1676
गम ना कर ऐ दोस्त,
तकदीर बदलती रहती हैं,
शीशा शीशा ही रहता हैं,
तस्वीर बदलती रहती हैं l

1677
मेरे चुप रहनेसे,
नाराज़ ना हुआ करो,
कहते हैं...
टूटे हुए लोग हमेशा,
ख़ामोश हुआ करते हैं.......

1678
ना रात कटती हैं...
और ना जिन्दगी.....!
एक शख्स मेरे वक्तको.......
इतना धीमा कर गया...!!!

1679
उनकी यह मुस्कुराहटें,
खुशियोंकी जैसे आहटें,
एक कश इश्क़का,
एक नशा उनके नामका !

1680
वो नहीं आती पर निशानी भेज देती हैं l
ख्वाबोमें दास्ताँ पुरानी भेज देती हैं ll
कितने मीठे हे उसकी यादोंके मंज़र l
कभी कभी आँखोंमें पानी भेज देती हैं ll

17 August 2017

1671 - 1675 याद क़ैद रिहा जान अजीज़ आदत सादगी जाहिल इल्ज़ाम तमाशा शायरी


1671
कौन चाहता हैं रिहा होना,
उनकी यादोंसे...,
ये तो वो क़ैद हैं जो,
जानसे ज़्यादा अजीज़ हैं...!!!

1672
अपनी आदत नहीं हैं,
पुरानी चींजे बदलनेकी...
हम सादगीपें मरने वाले,
जाहिल लोग हैं.......

1673
अगर कहो तो आज बता दूँ,
मुझको तुम कैसी लगती हो l
मेरी नहीं मगर जाने क्यों,
कुछ कुछ अपनीसी लगती हो ll

1674
इल्ज़ाम तेरे सरपें,
तराशा नहीं करते l
चुपचाप ही रोते हैं,
तमाशा नहीं करते.......ll

1675
ना उसने मुड़कर देखा ;
ना हमने पलटकर आवाज दी,
अजीबसा वक्त था जिसने;
दोनोंको पत्थर बना दिया.......

16 August 2017

1666 - 1670 दिल याद गम कसम आँख सैलाब शख्स चाँद चौखट नादान शायरी


1666
यादोंको तेरी हमने खोने ना दिया,
गमोंने भी चूप होने ना दिया,
आँखे तो आजभी भर आई तेरी यादमें,
पर तेरी दी हुई कसमने हमें रोने ना दिया!!!

1667
सुनो ,
कभी भीगना हो तुम्हे पानीमें, 
मेरी इन आँखोंमें चले आना...
 यहाँ आये दिन सैलाब आते हैं...।।

1668
”ऐ चाँद चला जा,
क्यो आया हैं मेरी चौखटपर...!!
छोड गये वो शख्स,
जिसकी यादमें हम तुझे देखा करते थे ...!!”

1669
जो कभी न मिले.......
उससे ही लग जाता हैं दिल,
आखिर ये दिल,
इतना नादान क्यों हैं.......

1670
नादानियाँ झलकती हैं,
अभी भी मेरी आदतोंसे...!!
मैं खुद हैरान हूँ,
के मुझे इश्क़ हुआ कैसे.......!!!

15 August 2017

1661 - 1665 दिल जान हद हकदार काँच चकनाचूर महसूस बेचैनियाँ इल्तिजा हुक्म आसमान शायरी


1661
सिर्फ दिलका हकदार,
बनाया था तुम्हें...
हद हो गई,
तुमने तो जान भी ले ली.......

1662
टूटे हुए काँचकी तरह...
चकनाचूर हो गए...
किसीको लग न जाए...
इसलिए सबसे दूर हो गए...

1663
बताओ फ़िर उसे,
क्यूँ नहीं महसूस होती बेचैनियाँ मेरी,
जो अक्सर कहतें हैं...
"बहुत अच्छेसे जानती हूँ मैं तुम्हें..."

1664
जो हुक्म देता हैं,
वो इल्तिजा भी करता हैं,
ये आसमान कहींपर,
झुका भी करता हैं.......

1665
अब किस्मत ही,
मिला दे, तो मिला दे,
वरना हम तो बिछड़ गए हैं,
तूफ़ानमें परिंदोंकी तरह...

14 August 2017

1656 - 1660 दिल मोहब्बत इश्क बात पहचान मौज आँख नाज़ुक नींद धड़क नज़र ख़ामोश शायरी


1656
इक बात कहूँ "इश्क",
बुरा तो नहीं मानोगे....
बडीके थे दिन,
तेरी पहचानसे पहले l

1657
इस नाज़ुक दिलमें
किसीके लिये इतनी मोहब्बत हैं,
हर रात जबतक
आँख भीग ना जाये, नींद नहीं आती...

1658
दिल तो हर किसीके,
सीनेमें धड़कता हैं l
किसी औरके लिए धड़के,
तो कोई बात हो !

1659
नज़र ही नज़रमें,
मुलाक़ात कर ली....
रहे दोनों ख़ामोश,
और बात कर ली.....!

1660
उनको मालूम हैं की,
उनके बिन हम टूट जाते हैं,
फिर क्यूँ वो आज़माते हैं हमको,
बिछड़ बिछड़कर . . . ! ! !

13 August 2017

1651 - 1655 दिल मोहब्बत अदा इश्क आँख प्यार आईना दीवाने जादू बेफिक्र मशरूफ ज़माने शायरी


1651
मुझे उन आँखोंमें कभी,
आँसु अच्छे नहीं लगते...
जीन आँखोंमें अकसर,
खुदके लिये प्यार देखता हैं l

1652
जबसे देखा हैं,
तेरी आँखोंमें झाककर,
आईना अच्छा नहीं लगता,
मोहब्बतमें ऐसे हुए हैं दीवाने,
तुम्हें कोई देखे, तो अच्छा नहीं लगता l

1653
न जाने क्या जादू हैं,
उसके पाक इश्क और अदाओंमें...!
बेफिक्र हूँ ज़मानेसे और,
मशरूफ हूँ उसकी मोहब्बतमें.......!

1654
"तमाम उम्र अकेलेमें,
तुझसे बातें कीं,
तमाम उम्र तेरे रूबरू,
खामोश रहे...!"

1655
गज़बकी धुप हैं शहरमें,
फिर भी पता नहीं,
लोगोंके दिल यहां,
क्यों नहीं पिघलते...

12 August 2017

1646 - 1650 ज़िन्दगी परछाई मुद्दत आँख़े ख्वाब ख़्वाहिश रूह रंगत लम्हा वादे अजीब चीज शायरी


1646
छुआ था मुद्दतों पहले,
उनकी परछाईने एक पल,
हमारी रूह--रंगत,
अभी तक जाफ़रानी हैं...!
 
1647
मेरी ज़िंदग़ी तेरे साथ,
शुरू तो नहीं हुई l
पर ख़्वाहिश हैं,
ख़त्म तेरे साथ हीं हो ll
 
1648
मेरा हर लम्हा चुराया आपने,
आँखोंको एक ख्वाब दिखाया आपने,
हमें ज़िन्दगी दी किसी और ने,
पर प्यारमें जीना सिखाया आपने l
 
1649
ज़िन्दगीमें बहुत ऐसे लोग होते हैं ,
जो ... वादे तो नही करते,
लेकिन...
सब कुछ निभा जाते हैं !!!
 
1650
पानी भी क्या अजीब चीज हैं...
नजर उन आँखोमें आता हैं,
जिनके खेत सुखे हैं.......

10 August 2017

1641 - 1645 दिल इश्क़ नाकाम किनारा मौत उम्र काम जज़्बात नज़रे मुस्कुराहट मोहब्बत शायरी


1641
मै,कहता हूँ,
मोहब्बतसे किनारा कर लूँ...
और दिल कहता हैं,
ये मोहब्बत दोबारा कर लूँ.......

1642
इतनी लम्बी उम्रकी दुआ ,
मत माँग मेरे लिये...
ऐसा ना हो कि तू भी छोड दे,
और मौत भी ना आए...!

1643
बात तो सिर्फ जज़्बातोंकी हैं,
वरना...
मोहब्बत तो सात फेरोंके बादभी,
नहीं होती...!!!

1644
बहोत मोहब्बत करती थी,
वो मेरी मुस्कुराहटसे...
इसलिए जाते जाते,
उसे भी साथ ले गयी.......

1645
झुकाली उन्होंने नज़रे,
जब मेरा नाम आया.......
इश्क़ मेरा नाकाम ही सही,
पर कही तो काम आया.......

9 August 2017

1636 - 1640 दुनियाँ अजनबी तकलीफ इन्सान ज़रूरत साथ दिये साजिशें उजाला धोखे चेहरा हकीकत फरेब मुहब्बत शायरी


1636
इस दुनियाँमें,
अजनबी रहनाही ठीक हैं...
लोग बहुत तकलीफ देते हैं,
अक्सर अपना बनाकर...!!

1637
इन्सान सब कुछ भूल सकता हैं,
सिवये उन पलोंके;
जब उसे अपनोकी ज़रूरत थी,
और वे साथ नहीं थे .......

1638
जो जले थे हमारे लिऐ,
बुझ रहे हैं वो सारे दिये,
कुछ अंधेरोंकी थी साजिशें,
कुछ उजालोंने धोखे दिये...!

1639
दिल नहीं चेहरा देखते हैं,
आजकलके लोग;
हकीकतसे नहीं फरेबसे,
मुहब्बत करते हैं...

1640
न जाने क्यों ये रात,
उदास कर देती हैं हर रोज...!
महसूस यूँ होता हैं जैसे,
बिछड़ रहा हैं कोई धीरे धीरे...!

8 August 2017

1631 - 1635 मोहब्बत दुनियाँ नसीब चाहतें तन्हाई रिश्ते शर्त साजिशें शरारतें बिखर बात खेल


1631
हर किसीके नसीबमें,
कहाँ लिखी होती हैं चाहतें...,
कुछ लोग दुनियाँमें आते है,
सिर्फ तन्हाईयोंके लिए...!

1632
हर रिश्तेमें सिर्फ नूर बरसेगा...
शर्त बस इतनी हैं कि
रिश्तेमें शरारतें करो,
साजिशें नहीं...।

1633
क्यूँ खेलते हैं वो हमसे,
मोहब्बतका खेल,
बात बातमें रूठ वो जाते हैं,
और टूटकर बिखर जाते हैं हम !!!

1634
रखा करो नजदीकियाँ...
ज़िन्दगीका कुछ भरोसा नहीं...
फिर मत कहना चले भी गए,
और बताया भी नहीं...

1635
तन्हाई... सौ गुना बेहतर हैं...
झूठे वादोंसे ...
झूठे लोगोंसे .......

7 August 2017

1626 - 1630 मोहब्बत इश्क़ लब गाल नजर फासले सफर मयखाने दफ़्न वादा किताब याद हिचकियाँ शायरी


1626
लबौसे गाल, फिर तेरी,
नजर तक का सफर, तौबा...!
बहुत कम फासले पर,
इतने मयखाने नहीं होते ।।

1627
किताब ए इश्क़में
क्या कुछ दफ़्न मिला,
मुड़े हुए पन्नोंमें एक...
भूला हुआ वादा मिला !!!

1628
तुम लाख भुलाकर देखो मुझे...
मैं फिर भी याद आऊँगी,
तुम पानी पी पीकर थक जाओगे,
मैं हिचकियाँ बनकर सताउंगी.......

1629
सुकून मिल गया मुझको,
बदनाम होकर...
आपके हर इक इल्ज़ामपें,
यूँ बेजुबां होकर...
लोग पढ़ ही लेंगें आपकी आँखोंमें,
मेरी मोहब्बत...
चाहे कर दो इनकार,
अंजान होकर.......

1630
रोज़ रोज़ जलते हैं,
फिरभी खाक़ नहीं हुए;
अजीब हैं कुछ ख़्वाब,
बुझकर भी राख़ न हुए...!

6 August 2017

1621 - 1625 दिल दुनियाँ जिंदगी बात शख्स अफसाने बुरा खुदा रिश्ता तमन्ना आँचल गैर शायरी


1621
क्या बात करे इस दुनियाँकी,
"हर शख्सके अपने अफसाने हैं ;
जो सामने हैं, उसे लोग बुरा कहते हैं,
जिसको देखा नहीं उसे सब "खुदा" कहते हैं...

1622
"लोग अपना बनाके छोड़ देते हैं,
अपनोंसे रिश्ता तोड़कर, गैरोंसे जोड़ लेते हैं,
हम तो एक फूल ना तोड़ सके,
ना जाने लोग दिल कैसे तोड़ देते हैं......."

1623
तमन्नाने जिंदगीके आँचलमें,
सर रख कर पूछा, "मैं कब पूरी होऊँगी...?"
जिंदगीने हँसकर कहा...
"जो पूरी हो जाये वह तमन्ना ही क्या...?"

1624
शुक्र करो कि
दर्द सहते हैं लिखते नहीं,
वर्ना कागजोंपें
लफ्जोंके जनाजे उठते...

1625
"रुकावटें तो जनाब,
ज़िन्दा इन्सानके हिस्सेमें ही आती हैं,
वर्ना अर्थीके लिए,
रास्ता तो सभी छोड़ देते हैं..."