17 September 2017

1746 - 1750 आसान खुशी गम कलाकार किरदार शायद पसन्द मायुसी चाह रिश्ते शायरी


1746
थक गये हैं गमभी,
अपनी कलाकारी करते करते,
ऐ खुशी तु भी अपना,
किरदार निभा दे जरा...!!!

1747
उसने पुछा के.......
सबसे ज्यादा क्या पसन्द हैं तुम्हे ?
हम बहुत देरतक उसे देखते रहें,
के शायद वो समझ जाये !

1748
आसान ये भी नहीं,
कि तुम किसीके लिये जियो,
और
वो किसी औरके लिये...!!!

1749
मुझे हसरत ही नहीं,
मोहब्बतक़ो पानेक़ी
अब तो चाहत हैं,
मोहब्बतक़ो भूल ज़ानेक़ीll

1750
मायुसीमें अकेला ही,
पाता हूँ खुदको...
इसलिए रिश्तोंसे,
बचाता हूँ खुदको...
अब इन अपनोंसे बहुत दुर,
ले जाना चाहता हूँ खुदको...

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