1776
ना थी मेरी "तमन्ना",
कभी तेरे बगैर रहनेकी ",
लेकिन...
मजबूरको, मजबूरकी,
मजबूरियाँ, मजबूर कर देती हैं...
1777
आ देख मेरी आँखोंके,
ये भीगे हुए मौसम,
ये किसने कह दिया,
कि तुझे भूल गये हैं हम...
1778
कभी वक्त मिले तो, रखना कदम,
मेरे दिलके आँगनमें !
हैरान
रह जाओगे ...
मेरे दिलमें, अपना मुकाम देखकर . . .
1779
आदतें बुरी नहीं, शौक ऊँचे हैं,
वर्ना किसी ख्वाबकी,
इतनी औकात
नहीं,
की हम देखे और पुरा ना हो !
1780
आँख उठाकर भी न देखूँ,
जिससे मेरा दिल न मिले,
जबरन सबसे हाथ मिलाना,
मेरे बसकी बात नहीं . . .
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