4 February 2021

7126 - 7130 दिल याद सजा ख़ाक मजा भूल नजर फ़साना दुनिया दोस्ती दुश्मनी शायरी

 

7126
तअल्लुक़ हैं,
अब तर्क--तअल्लुक़...
ख़ुदा जाने,
ये कैसी दुश्मनी हैं...!

7127
मेरे दुश्मन,
मुझको भूल सके...
वर्ना रखता हैं कौन,
किसको याद.......?
ख़लील-उर-रहमान आज़मी

7128
जो दिलके हैं सच्चे,
उनका दुश्मन पूरा जमाना हैं;
इस रंग बदलती दुनियाका,
यही सच्चा फ़साना हैं ll

7129
ख़ाक मजा हैं जीनेमें,
जब तक आग ना लगे,
दुश्मनके सीनेमें.......

7130
हम दुश्मनको भी,
बड़ी शानदार सजा देते हैं...
हाथ नहीं उठाते बस,
नजरोंसे गिरा देते हैं.......!

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