7141
इतनी चाहतसे न देखा कीजिए,
महफ़िलमें आप.......!
शहर वालोंसे हमारी,
दुश्मनी बढ़ जाएगी.......!!!
7142हुस्न आईना फ़ाश करता हैं,ऐसे दुश्मनको संगसार करो llशैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
7143
जिस खतपे ये लगाई,
उसीका मिला जवाब...
इक मोहर मेरे पास हैं,
दुश्मनके नामकी.......!
7144
उसके होनेसे हुई हैं,अपने होनेकी ख़बर...कोई दुश्मनसे ज़ियादा,लाएक़-ए-इज़्ज़त नहीं...ग़ुलाम हुसैन साजिद
7145
कुछ न उखाड़ सकोंगे,
तुम हमसे दुश्मनी करके...
हमें बर्बाद करना चाहते हो तो,
हमसे मोहब्बत कर लो.......!
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