7201
दिन एक सितम,
एक सितम रात करे हो...
वो दोस्त हो, दुश्मनको भी,
मात करो हो.......
कलीम आजिज़
7202रफ़्तार कुछ ज़िन्दगीकी,यूँ बनाये रख, ए खुदा...दुश्मन भले आगे निकल जाएँ,पर दोस्त कोई पीछे न छूटे.......!
7203
जमानेकी अदावतका,
सबब थी दोस्ती जिसकी...
अब उनको दुश्मनी हैं हमसे,
दुनिया इसको कहते हैं.......
बेखुद देहलवी
7204दुश्मनीने सुना न होवेगा,जो हमें दोस्तीने दिखलाया...
7205
करें हम दुश्मनी किससे,
कोई दुश्मन नहीं अपना...
मोहब्बतने नहीं छोड़ी,
जगह दिलमें अदावतकी...
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