1 March 2021

7216 - 7220 वक्त होंठ उल्फत दर्द ज़माना खजाना कोशिश फ़रिश्ते दोस्त यार शायरी

 
7216
वक्तकी यारी तो,
हर कोई करता हैं, मेरे दोस्त...
मजा तो तब हैं जब,
वक्त बदले पर, यार ना बदले...

7217
होंठोंपें उल्फतके फ़साने नहीं आते,
जो बीत गए फिर वो ज़माने नहीं आते...
दोस्त ही होते हैं, दोस्तोंके हमदर्द,
कोई फ़रिश्ते यहाँ साथ निभाने नहीं आते...!

7218
 गया जौहर अजब,
उल्टा ज़माना क्या कहें...
दोस्त वो करते हैं बातें,
जो अदू करते नहीं...
        लाला माधव राम जौहर

7219
मेरी चाहत नहीं,
बड़े-बड़े आदमी, मेरे दोस्त बने,
मेरी कोशिश हैं, मेरे सारे दोस्त,
बड़े-बड़े आदमी बने.......

7220
लिखा था राशीमें,
आज खजाना मिलेगा...
गुजरे एक गलीसे,
और दोस्त पुराने मिल गये...!

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