8 March 2021

7241 - 7245 दुनिया वक्त उम्र हिम्मत दोस्त यार शायरी

 

7241
ये जो मैं इतनी सहूलतसे,
तुझे चाहता हूँ...
दोस्ती इक उम्रमें मिलती हैं,
ये आसानी भी.......
                           सऊद उस्मानी

7242
हरीफ बनके मुकाबिलेमें,
जब सका जहाँ...
तो दोस्त बनके,
पसेपुश्त वार किया....
आनन्द नारायण मुल्ला

7243
आरामके थे साथी क्याक्या,
जब वक्त पड़ा तो कोई नहीं...
सब दोस्त हैं अपने मतलबके,
दुनियामें किसीका कोई नहीं...
                          आर्जू लखनवी

7244
मैं हंसता हूँ मगर, दोस्त...
अक्सर हंसने वाले भी,
छुपाए होते हैं दाग और नासूर...
अपने सीनोंमें.......!
अख्तर अंसारी

7245
बेजुस्तजू मिलेगा न, दिल...
सुराग़--दोस्त,
तू कुछ तो क़स्दकर,
तेरी हिम्मतको क्या हुआ.......
                                क़स्द-प्रयत्न

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