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ये जो मैं इतनी सहूलतसे,
तुझे चाहता हूँ...
दोस्ती इक उम्रमें मिलती हैं,
ये आसानी भी.......
सऊद उस्मानी
7242हरीफ बनके मुकाबिलेमें,जब आ सका न जहाँ...तो दोस्त बनके,पसे–पुश्त वार किया....आनन्द नारायण मुल्ला
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आरामके थे साथी क्या–क्या,
जब वक्त पड़ा तो कोई नहीं...
सब दोस्त हैं अपने मतलबके,
दुनियामें किसीका कोई नहीं...
आर्जू लखनवी
7244मैं हंसता हूँ मगर, ऐ दोस्त...अक्सर हंसने वाले भी,छुपाए होते हैं दाग और नासूर...अपने सीनोंमें.......!अख्तर अंसारी
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बेजुस्तजू मिलेगा न, ऐ दिल...
सुराग़-ए-दोस्त,
तू कुछ तो क़स्दकर,
तेरी हिम्मतको क्या हुआ.......
क़स्द-प्रयत्न
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