28 March 2021

7331 - 7335 गम याद मौत आदत आहट मिजाज नाराज़ नाराज़गी शायरी

 

7331
तुम मिल गए तो,
मुझसे नाराज़ हैं खुदा...!
कहता हैं कि तू अब.
कुछ माँगता नहीं हैं.......!

7332
अपनी तबीयतका भी,
अलग ही मिजाज हैं...
लोग मौतसे डरते हैं,
हम उनकी नाराज़गीसे...

7333
गमे-दुनिया,
हो नाराज़...
मुझको आदत हैं,
मुस्कुरानेकी.......
   अब्दुल हमीद अदम

7334
सारा जहाँ चुपचाप हैं,
आहटें ना साज़ हैं;
क्यों हवा ठहरी हुई हैं...
आप क्या नाराज़ हैं...?

7335
कहीं नाराज़  हो जाए,
उपरवाला मुझसे...
हर सुबह उठते ही, उससे पहले...
तुझे जो याद करता हूँ.......!

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