16 March 2021

7276 - 7280 क़िस्मत तड़प महफिल इंतिज़ार हसरत बेक़रार शिद्दत शुक्र मिजाज यार शायरी

 

7276
ये थी हमारी क़िस्मत कि,
विसाल--यार होता...
अगर और जीते रहते,
यही इंतिज़ार होता.......
                            मिर्जा गालिब

7277
हसरत--इंतिज़ार--यार पूछ,
हाए वो शिद्दत--इंतिज़ार पूछ...
नून मीम राशिद

7278
नहीं इलाज--ग़म--हिज्र--यार क्या कीजे,
तड़प रहा है दिल--बेक़रार किया कीजे...?
                                                   जिगर बरेलवी

7279
कोई पागल, कोई खब्ती
कोई सौदाई...
महफिले-यार शफाखाना हैं,
बीमारोंका.......ll
कौसर बारानवी

7280
कुछ इस अदासे,
यारने पूछा मेरा मिजाज...
कहना ही पड़ा शुक्र हैं,
परवरदिगारका.......!
                जलील मानिकपुरी

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