5 March 2021

7231 - 7235 असूल कुबूल दर्द निगाहें तम्मना तासीर आँख दोस्त यार शायरी

 

7231
अपनी दोस्तीका बस,
इतनासा असूल हैं...
ज़ब तू कुबूल हैं,
तो तेरा सबकुछ कुबूल हैं...!

7232
सच्ची दोस्ती बेजुबान होती हैं,
ये तो आँखोसे बयाँ होती हैं;
दोस्तीमें दर्द मिले तो क्या,
दर्दमें ही दोस्तीकी पहचान होती हैं ll

7233
दोस्ती बड़ी नहीं होती...
निभाने वाला बड़ा होता हैं...!

7234
निगाहें बदल गयी,
अपने और बेगानेकी...
तू छोड़ना दोस्तीका हाथ, वरना...
तम्मना मिट जायेगी,
कभी दोस्त बनानेकी.......

7235
तासीर इतनी ही काफी हैं,
की वो मेरा दोस्त हैं;
क्या ख़ास हैं उसमे,
ऐसा कभी सोचा ही नहीं...!

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