7316
देखोगे तो हर मोड़पें,
मिल जाएँगी लाशें...!
ढूँडोगे तो इस शहरमें,
क़ातिल न मिलेगा.......!!!
मलिकज़ादा मंज़ूर अहमद
7317कई मोड़ आएंगे,अभी इस सफरमें...और हर मोड़के साथ,दास्तान बनती जाएगी...
7318
वक़्तकी करवटको,
कैसे बदलूँ...?
तुम बेवजह चले गए,
मुँह मोड़के.......
7319यूँ तो मोड़ जिन्दगीमें,कुछ ऐसे भी आएंगे;तकलीफमें होगे तुम,साथ निभाने वालेही,तन्हा छोड़ जाएंगे.......
7320
ग़ुरूर हैं मुझमें,
तो तोड़कर दिखा l
मैं दरिया हूँ,
मेरा रास्ता मोड़कर दिखा ll
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