2816
चलते चलते मुझसे
पूछा,
मेरे पाँव
के छालो ने,
बस्ती कितनी दूर बसा
ली,
दिल में
बसने वालो ने
!
2817
मुहब्बत एक दम,
ग़मका एहसास
होने नही देती...
ये तितली बैठती है,
ज़ख़्म पर आहिस्ता-आहिस्ता...
2818
शीशे में डूब
कर ,
पीते रहे उस
जाम
को;
कोशिशे तो
बहूत की मगर,
भूला न पाए
एक नाम को.......
2819
मिलने की चाह
यूँ है की,
अभी आ जाये
आपसे मिलने...
कम्बख्त
ये फासले भी,
बडे अजीब हैं.......
2820
नजरे छुपा कर
क्या मिलेगा ?
नजरे मिलाओ शायद हम
मिल जाएगे !!!