24 November 2018

3471 - 3575 महोब्बत ज़िंदगी शरीफ बदनाम जादू निगाह बेखुदी कबर गुलाब चिराग शराब शायरी


3571
बर्फका वो शरीफ टुकड़ा,
जाममें क्या गिरा, बदनाम हो गया...
जबतक देता अपनी सफाई,
खुद बखुद शराब हो गया...!!!

3572
जाने कौनसा जादू हैं तेरी बाहोंमें,
शराबसा नशा हैं तेरी निगाहोंमें;
तेरी तलाशमें तेरे मिलनाकी आस लिये,
दुआऐं माँगता फिरता हूँ दरगाहोंमें...!

3573
नशा ज़रूरी हैं ज़िंदगीके लिए,
पर सिर्फ़ शराब ही नही हैं बेखुदीके लिए;
किसीकी मस्त निगाहोमें डूब जा आए दोस्त,
बड़ा हसी समुंदर हैं ख़ुदकुशीके लिए...

3574
मुझे शराबसे महोब्बत नहीं हैं,
महोब्बत तो उन पलोसे हैं...
जो शराबके बहाने मैं,
यारोंके साथ बिताता हूँ...!

3575
मेरी कबरपें गुलाब मत लेके आना...
ना ही हाथोंमें चिराग लेके आना...
प्यासा हूँ मैं बरसोसे जानम,
बोतल शराबकी और एक ग्लास लेके आना...

3566 - 3570 प्यास मेहबूब इश्क मयखाने नज़र जाम नशा गहराई यार नाकाम आँख बेख़ुदी शराब शायरी


3566
प्यास अगर शराबकी होती तो,
ना आता तेरे मयखानेमें…
ये जो तेरी नज़रोका जाम हैं,
कम्बख्त कहीं और मिलता ही नहीं...!

3567
ये इश्क भी नशा--शराब,
जैसा हैं यारों
करें तो मर जाएँ और,
छोडे तो किधर जाएँ...!

3568
अगर हैं गहराई,
तो चल डुबा दे मुझको…
शराब नाकाम रही,
अब तेरी आँखोकी बारी हैं l

3569
मिले जो मेहबूब तो,
शराब सा मिले…
कि बेख़ुदी ऐसी हो,
कि फिर होश रहे…!

3570
वो जो तुमने,
इक दवा बतलाई थी ना ग़मके लिए,
उससे ग़म तो जैसाका तैसा रहा,
बस हम शराबी हो गये ll

22 November 2018

3561 - 3565 दिल इश्क बात रूह मुलाक़ात कैद जंजीर हुनर दीवानगी फना गुरू तनहा शायरी


3561
कभी तिनके, कभी पत्त्ते,
तो कभी ख़ुश्बू उड़ा लाई;
हमारे पास तो आँधी भी,
कभी तनहा नहीं आई...।

3562
चलो,
कुछ बात करते हैं...
बिन बोले... बिन सुने...
एक तनहा मुलाक़ात करते हैं...!

3563
बिछड़ना हैं तो यूँ करो...
रूहसे निकल जाओ,
रही बात दिलकी...
तो उसे हम देख लेंगे !!!

3564
कोई जंजीर नहीं,
फिर भी कैद हूँ तुझमें...
नहीं मालुम था,
की तुझे ऐसा हुनर भी आता हैं...!

3565
फना हो जाऊँ तेरे इश्कमें,
तो गुरूर करना.......
ये असर नही तेरे इश्कका,
ये मेरी दीवानगीका हुनर हैं.......!

21 November 2018

3556 - 3560 तन्हाई मोहब्बत मतलब काबिल यादे अन्जान पल यार तनहा शायरी


3556
तन्हाईसे तंग आकर,
हम मोहब्बतकी तलाशमें निकले थे;
लेकिन मोहब्बत भी ऐसी मिली की,
और तनहा कर गयी...!

3557
मतलब कि दुनिया थी,
इसलिए छोड़ दिया सबसे मिलना...
वरना ये छोटीसी उम्र,
तनहाईके काबिल तो ना थी.......

3558
अपनी तमाम यादे,
मुझतक छोड़ गये...
तुम तो ठीकसे,
मुझे तनहा भी कर सके...!

3559
कैसी मुहब्बत हैं तेरी...
महफ़िलमें मिले तो,
"अन्जान" कह दिया l
तनहा ज़ो मिले तो,
"जान" कह दिया ll

3560
रात मेरी तनहाई देखकर...
मुझपर मत हंस इतना,
वरना जिस दिन मेरा यार मेरे साथ होगा,
तू पलमें गुज़र जायेगी.......!

3551 - 3555 प्यार पल ख्वाब सिलसिला आलम एहसास तन्हाई सिलसिला हुस्न आगोश हसरत तनहा शायरी


3551
अकेले तो हम,
पहले भी जी रहे थे;
ना जाने फिर क्यूँ,
तनहासे हो गए तुम्हारे जानेके बाद...!

3552
एक पलका एहसास बनकर आते हो तुम,
दुसरे ही पल ख्वाब बनकर उड़ जाते हो तुम,
जानते हो की लगता हैं डर तन्हाइयोंसे,
फिर भी बार बार तनहा छोड़ जाते हो तुम...।

3553
आ तुझे बाहों में भरके प्यार करुं मैं,
मिट जाने दो दोनोकी तनहाईका ये सिलसिला;
इस रातके आलममें मेरा इश्क जानेजा,
तेरे हुस्नके आगोशमें खोनेको हैं चला...
3554
माना की दूरियाँ,
कुछ बढ़सी गयीं हैं...
लेकिन तेरे हिस्सेका वक़्त,
आज भी तनहा गुजरता हैं...!

3555
अब तो हसरत ही नहीं,
किसीसे वफा पानेकी...
दिल इस कदर टूटा हैं की,
अब सिर्फ तनहायी अच्छी लगती हैं...!

19 November 2018

3546 - 3550 दिल ज़िंदगी कारवाँ महक याद दीदार लम्हा ख्वाब वफ़ा तमन्ना किस्मत तनहा शायरी


3546
तनहा दिल हो जाता हैं,
जब याद आते हो तुम...
कुछ सहरीसी कुछ भिगिसी,
आती हैं आपकी याद...
दिल महक जाता हैं,
जब याद आते हो तुम...
संभलना भी हैं,
सवरना भी हैं मगर...
दिल कुछ बहक जाता हैं,
जब याद आते हो तुम...
बस तेरे दीदारकी आस हैं,
काश तू आये और ये लम्हा ठहर जाये...!

3547
एक उनके ख्वाबोंका शौक,
एक उनके यादकी आदत;
वो ही बतायेंगे सोकर उनका दीदार करे,
या जाग कर उन्हें याद.......!

3548
जब वो आये तो,
कफन ना उठाना मेरी लाश परसे...
उसे भी तो पता चले यारका दीदार,
ना हो तो दिलपर क्या गुजरती हैं.........!!!

3549
मुझको फिर वही सुहाना नज़ारा मिल गया,
नज़रोंको जो दीदार तुम्हारा मिल गया;
और किसी चीज़की तमन्ना क्यूँ करू,
जब मुझे तेरी बाहोंमें सहारा मिल गया...

3550
ये रस्म, ये रिवाज...
ये कारोबार वफ़ाओंका,
सब छोड़ आना तुम,
मेरे बिखरनेसे जरा पहले, लौट आना तुम...
किसीकी यादमें जलती हैं ज़िंदगी,
किसीकी यादसे चलती हैं ज़िंदगी,
ये तो ज़िंदगीका कारवाँ हैं यारों...
किसीकी यादमें सँबरती,
तो किसीकी यादमें बिखरती हैं ज़िंदगी...
तलब ऐसीकी बसा लें साँसोंमें उन्हे,
और किस्मत ऐसी की,
दीदारके भी मोहताज हैं हम.......!

18 November 2018

3541 - 3545 दिल इंतज़ार नसीब हैरान आँखे तडप नकाब चौदहवी रुखसार दीदार शायरी


3541
नज़र चाहती हैं दीदार करना,
दिल चाहता हैं प्यार करना;
क्या बताएं इस दिलका आलम,
नसीबमें लिखा हैं इंतज़ार करना...

3542
दिलका क्या हैं,
तेरी यादोंके सहारे भी जी लेगा...
हैरान तो आँखे हैं,
जो तडपती हैं तेरे दीदारको...!

3543
दीदारकी 'तलब' हो तो,
नज़रें जमाये रखना जनाब...
क्यूंकि 'नकाब' हो या 'नसीब',
सरकता ज़रूर हैं.......!

3544
इन आँखोंको जब तेरा,
दीदार हो जाता हैं...
दिन कोई भी हो,
लेकिन त्यौहार हो जाता हैं...!

3545
होशो हवास खो बैठे हम,
तेरे दीदारसे...
चौदहवीकी रात भी लगी फीकी,
बस तेरे रुखसारसे.......!

16 November 2018

3536 - 3540 इश्क़ चैन दिल शबनम बादशाह मिज़ाज़ आँखे दीवाने साँस इंतज़ार तडप दीदार शायरी


3536
तेरे दीदारका नशा भी अजीब हैं
तु ना दिखे तो दिल तडपता हैं...
और तु दिखे हैं तो,
नशा और चढता हैं...!

3537
दीदार--चैन देकर,
बेचैन कर देती हैं;
हैं तो शबनम,
मगर आग लगा देती हैं...

3538
बादशाह थे हम भी,
अपने मिज़ाज़ मस्तीके...
कमबख्त इश्क़ने,
तेरे दीदारका दीवाना बना दिया...!

3539
उल्टी ही चाल चलते हैं,
इश्क़के दीवाने...
आँखे बंद कर लेते हैं,
दीदारके लिए.......!

3540
साँस रूक जाए भले ही,
तेरा इंतजार करते करते...
तेरे दीदारकी आरजू,
हरगिज कम ना होगी.......!

15 November 2018

3531 - 3535 मुहब्बत महबूब प्यार ख़्वाब अजनबी चेहरे शिद्दत सर्दी इन्तेजा शायरी


3531
बच सका ख़ुदा भी,
मुहब्बतके तकाज़ोंसे...
एक महबूबकी खातिर,
सारा जहाँ बना डाला.......!

3532
प्यारका जज़्बा भी,
क्या ख़्वाब दिखा देता हैं...
अजनबी चेहरेको,
महबूब बना देता हैं...!

3533
याद महबूबकी और,
शिद्दत सर्दीकी...
देखते हैं.......
हमें कौन बीमार करता हैं...!

3534
मोहब्बतके पटवारीको,
जानते हो साहिब...
मुझे मेरा महबूब,
अपने नाम करवाना हैं...!
3535
मौत आये खुदा,
मेरे महबूबसे पहले मुझको;
आँखे मूंदनेसे पहले,
उनके दीदारकी इन्तेजा हैं...!