3536
तेरे दीदारका नशा
भी अजीब हैं
तु ना दिखे
तो दिल तडपता हैं...
और तु दिखे हैं
तो,
नशा और चढता
हैं...!
3537
दीदार-ऐ-चैन
देकर,
बेचैन कर
देती हैं;
हैं तो शबनम,
मगर आग लगा
देती हैं...
3538
बादशाह थे हम
भी,
अपने मिज़ाज़
ए मस्तीके...
कमबख्त इश्क़ने,
तेरे
दीदारका दीवाना
बना दिया...!
3539
उल्टी ही चाल
चलते हैं,
इश्क़के दीवाने...
आँखे बंद कर
लेते हैं,
दीदारके लिए.......!
3540
साँस रूक जाए
भले ही,
तेरा
इंतजार करते करते...
तेरे दीदारकी आरजू,
हरगिज कम ना
होगी.......!
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