3521
"जमानेसे नहीं तो
तनहाई से डरता
हुँ,
प्यारसे नहीं
तो रुसवाईसे
डरता हुँ;
मिलनेकी उमंग
बहुत होती हैं,
लेकिन मिलनेके बाद
तेरी जुदाईसे
डरता हुँ।"
3522
काश वो समझते
इस दिलकी
तड़पको,
तो यूँ हमें
रुसवा ना किया
होता;
उनकी ये बेरुखी
भी मंज़ूर थी
हमें,
बस एक बार
हमें समझ लिया
होता |
3523
गमकी परछाईयाँ,
यारकी रुसवाईयाँ,
वाह रे मुहोब्बत
!
तेरे ही दर्द
और तेरी ही
दवाई याँ
3524
मासूम मयखानों पर ही,
हुकूमत-ए-रुसवा
क्यों...?
शराबी आँखोपर
भी,
पाबंदी चाहीए.......!
3525
ना कर दिलसे नाराज़गी...
ना रुसवा कर मुझे...
जुर्म बता... सज़ा सुना...
और किस्सा खत्म कर.......
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