11 November 2018

3511 - 3515 इश्क़ दिल मोहब्बत कयामत जिक्र अजीब जंग याद आँख खबर वजह शायरी


3511
दो घडी जिक्र जो तेरा हुआ...
दो घडी हमपें कयामत गुज़री.......!

3512
एक अजीबसी जंग छिडी हैं,
तेरी यादोको लेकर...
आँखे कहती हैं सोने दे,
दिल कहता हैं रोने दे...!

3513
किसी टूटे हुए मकानकी तरह,
हो गया हैं ये दिल...
कोई रहता भी नहीं और,
कमबख्त बिकता भी नहीं.......

3514
तू मेरे दिलमें हो...
अब ये सबको खबर हैं;
क्या वजह हैं...
कि बस एक तू ही बेखबर हैं...!

3515
ये भी एक तमाशा हैं,
इश्क और मोहब्बतमें...
दिल किसीका होता हैं,
और बस किसीका चलता हैं.......

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