3511
दो घडी जिक्र
जो तेरा न
हुआ...
दो घडी हमपें कयामत गुज़री.......!
3512
एक अजीबसी
जंग छिडी हैं,
तेरी यादोको
लेकर...
आँखे कहती हैं सोने दे,
दिल कहता हैं रोने दे...!
3513
किसी टूटे हुए
मकानकी तरह,
हो गया हैं ये दिल...
कोई रहता भी
नहीं और,
कमबख्त
बिकता भी नहीं.......
3514
तू मेरे दिलमें हो...
अब
ये सबको खबर
हैं;
क्या वजह हैं...
कि बस एक
तू ही बेखबर
हैं...!
3515
ये भी एक
तमाशा हैं,
इश्क
और मोहब्बतमें...
दिल किसीका
होता हैं,
और
बस किसीका
चलता हैं.......
No comments:
Post a Comment